
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोमोस ने सोयुज 2.1बी रॉकेट पर लूना-25 लैंडर लॉन्च कर दिया। 11 अगस्त को वोस्तोचन कोस्मोड्रोम के लॉन्च पैड से इसे लॉन्च किया गया। देश ने 47 वर्षों में अपना पहला चंद्र लैंडर सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। लूना-25 मिशन न केवल रूस की तकनीकी शक्ति का प्रमाण है, बल्कि भू-राजनीतिक तनाव के बीच एक रणनीतिक कदम भी है।
सफल लॉन्च
अंतरिक्ष यान ने अमूर ओब्लास्ट में वोस्तोचन कोस्मोड्रोम से उड़ान भरी और 16 अगस्त तक चंद्र कक्षा में पहुंचने और 21-22 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। लूना-25 का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की चट्टान और धूल के नमूने एकत्र करना है। ये नमूने किसी भी संभावित आधार निर्माण से पहले चंद्र पर्यावरण को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
रूस का स्पेस में शक्ति प्रदर्शन
यह मिशन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय में आया है जब रूस यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के कारण गंभीर आर्थिक चुनौतियों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। इन बाधाओं के बावजूद, रूस का अंतरिक्ष कार्यक्रम अविचलित है। लूना-25 मिशन को पश्चिम के प्रतिबंधों के खिलाफ रूसी शक्ति के प्रतीक के रूप में पेश किया जा रहा है, जिनमें से कई ने मॉस्को के एयरोस्पेस क्षेत्र को लक्षित किया है। रूस और अमेरिका यूक्रेन युद्ध को लेकर आमने-सामने हैं, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन चलाने की बात आने पर उन्होंने अपना सहयोग जारी रखा है।
रूस का अंतरिक्ष सफर
चांद हमेशा से हमारे लिए किसी रहस्य से कम नहीं है। हमने अक्सर किताबों में पढ़ा और सुना कि चांद पर कदम रखने वाले पहले अमेरिकी यात्री थे नील आर्मस्ट्रांग। 12 सितंबर, 1959 को सोवियत संघ ने लूना 2 लांच किया गया था। 1959 की मध्य रात्रि के बाद क़रीब 12 हज़ार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की सतह से टकराया थ। इतनी तेज गति से टकराने के बाद लूना-2 पूरी तरह से नष्ट हो गया था।
1974 में चांद पर गया था रूस
रूस का आखिरी चांद लैंडर सोवियत संघ के जमाने में लूना-24 था। यह 18 अगस्त 1976 को चांद की सतह पर उतरा था। इस मिशन के तहत चांद की सतह के सैंपल रूस के वैज्ञानिकों को मिले थे। लूना 25 और चंद्रयान दोनों ही मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे। पूरी दुनिया की इस पर नजर है कि आखिर सबसे पहले कौन उतरेगा। रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा है कि दोनों ही मिशन एक दूसरे के लिए कोई दिक्कत नहीं पैदा करने वाले, क्योंकि इनके बीच एक बड़ी दूरी होगी।
