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लिहाजा मौसम और बर्फ की पूर्वानुमान क्षमताओं में सुधार करना महत्वपूर्ण है।
आर्कटिक के जलवायु व पर्यावरण पर नजर रखने के लिए रूस ने रविवार को आर्कटिका-एम सैटेलाइट लॉन्च किया। बीते तीन दशक में आर्कटिक वैश्विक औसत के मुकाबले दोगुनी तेजी से गर्म हो रहा है। रूस ऊर्जा समृद्ध क्षेत्र विकसित करने के मकसद से बर्फ पिघलने के बाद उत्तर समुद्री मार्ग में निवेश कर रहा है।
रूसी स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने बताया, कजाखस्तान के बैकोनोर कोस्मोड्रोम से सोयुज रॉकेट से सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लक्षित कक्षा में पहुंचाया गया। 2023 में रूस एक और सैटेलाइट भेजेगा। दोनों सैटेलाइट 24 घंटे आर्कटिक महासागर और पृथ्वी की सतह पर होने वाली हलचल पर नजर रखेंगे।
कक्षा में पहुंचने के बाद सैटेलाइट निगरानी करने में सक्षम होगा और हर 15 से 30 मिनट में आर्कटिक की तस्वीरें भेजेगा। हांगकांग यूनिवर्सिटी की जियोग्राफर मिया बेनेट ने कहा, चूंकि आर्कटिक में अधिक गतिविधि होती है, लिहाजा मौसम और बर्फ की पूर्वानुमान क्षमताओं में सुधार करना महत्वपूर्ण है।
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