विश्व
यूक्रेन से युद्ध की रूस को चुकानी पड़ रही भरी कीमत, मून मिशन के लिए यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने साथ काम करने से किया इनकार
Renuka Sahu
14 April 2022 6:22 AM GMT
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फाइल फोटो
यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कीमत रूस को धीरे-धीरे हर क्षेत्र में चुकानी पड़ रही है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कीमत रूस (Russia) को धीरे-धीरे हर क्षेत्र में चुकानी पड़ रही है. स्पेस सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है. दरअसल, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने भविष्य के मून मिशन के लिए रूस के साथ अपने सहयोग को खत्म करने का ऐलान किया है. रूस पर पहले ही कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं.
ESA ने कहा कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से साइंस मिशन लूना 25, 26 या 27 को लेकर रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) के साथ काम नहीं किया जाएगा. ESA ने तीन रोबोटिक मिशनों के तहत जरूरी टेक्नोलॉजी को चंद्रमा पर भेजने का प्लान बनाया है. इसके लिए पहला मिशन लूना 25 अगस्त के लिए निर्धारित है.
इस नए फैसले का ऐलान ऐसे समय पर हुआ है, जब एक महीने पहले ही ESA ने इस बात का भी ऐलान किया था कि वह आधिकारिक तौर पर यूरोप के बहुप्रतीक्षित मार्स रोवर मिशन (Mars rover mission) को सस्पेंड कर रहा है. ऐसा करने के पीछे भी रूस-यूक्रेन युद्ध का हाथ था.
ESA ने एक बयान में कहा, 'यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बाद ESA के डायरेक्टर जनरल ने रूस और यूक्रेन के साथ मिलकर चल रहे सभी प्रोग्राम की समीक्षा शुरू की. इसका मकसद ये पता लगाना था कि इस युद्ध का ESA प्रोग्राम और एक्टिविटी पर क्या असर होगा. साथ ही इसके जरिए एक बेहतर स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना भी जरूरी माना गया.'
बयान में आगे कहा गया, 'यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने और इसके बाद मॉस्को पर लगाए गए प्रतिबंध एक मौलिक परिवर्तन को दिखाते हैं. ऐसे में इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ESA द्वारा मून मिशन पर सहयोग जारी रखना असंभव हो गया है.' इसमें कहा गया कि स्पेस एजेंसी रूस के बजाय अब किसी दूसरे भागीदार को देख रही है.
ESA अब NASA के कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विस प्रोग्राम की मदद लेना वाला है. इसके जरिए लूना 27 के लिए PROSPECT मिशन को रवाना किया जाएगा. वहीं, लूना 25 के लिए एक नेविगेशन कैमरा भेजा जाएगा.
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