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अपने सैनिकों की दुश्मनों से भी बदतर हालत कर रहा रूस, पुतिन का हुक्म न मानने की मिली इतनी बड़ी सजा!

Neha Dani
31 July 2022 11:10 AM GMT
अपने सैनिकों की दुश्मनों से भी बदतर हालत कर रहा रूस, पुतिन का हुक्म न मानने की मिली इतनी बड़ी सजा!
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जबकि कई बाकियों को ब्रायंका के तहखाने में कैद कर दिया गया या वापस अग्रिम मोर्चों पर भेज दिया गया।

मॉस्को : रूस के मक्सिम कोचेतकोव को अपने घर से करीब 10 हजार किमी दूर जापान के पास एक द्वीप पर कैद किया गया है। मक्सिम कोचेतकोव तमाम रूसी सैनिकों में से एक नाम है जो युद्ध के कैदी हैं और यूक्रेन से जंग नहीं लड़ना चाहते। 20 साल के मक्सिम को हजारों रूसी सैनिकों की तरह यूक्रेन पर हमला करने के पुतिन के आदेश की अवहेलना करने की सजा दी जा रही है। इनमें से ज्यादातर रूस के बाहरी या गरीब इलाकों के रहने वाले हैं। सैनिकों की दुर्दशा अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के पिछले हफ्ते किए एक दावे को मजबूत करती है जिसमें कहा गया था कि रूसी सेना में अनुशासन और मनोबल की समस्याओं के संकेत मिल रहे हैं।



डेलीमेल की खबर के अनुसार, रूसी मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी पुष्टि की गई है। एक रिपोर्ट मक्सिम जैसे लड़ाई से इनकार करने वाले सैनिकों का आंकड़ा भी पेश करती है जिनकी संख्या 1,793 है। इसमें कहा गया है कि कई सैनिकों को क्रेमलिन से जुड़े भाड़े के लड़ाकों ने लुहान्स्क के 'टॉर्चर रूम' और बेसमेंट में कैद किया है। पांच महीने से यूक्रेन में संघर्ष कर रहे रूसी अधिकारी सैनिकों को अग्रिम मोर्चों पर लौटने के लिए धमका रहे हैं।


टॉर्चर रूम में न खाना, न पानी, न बिजली
एक स्वतंत्र रूसी अखबार Verstka के मुताबिक कम से कम 234 लोगों को लुहान्स्क के ब्रायंका शहर में डिटेंशन सेंटर में बंदी बनाया गया है। एक शख्स ने बताया कि उसके बेटे को 33 अन्य लोगों के साथ दो हफ्ते के लिए बेसमेंट में रखा गया था। एक महिला ने कहा कि उसके बेटे को 12 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और बिना खाना, पानी और बिजली के अंडरग्राउंड कैद किया गया। इसी तरह एक और पिता ने 'टॉर्चर रूम' के बारे में बताया है।


सैनिकों की मांगों को ठुकरा देते हैं कमांडर
रूसी सैन्य कानून सैनिकों को लड़ने से इनकार करने की इजाजत देता है। लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सैन्यबल की कमी से जूझ रहे कमांडर अक्सर उनकी मांगों को ठुकरा देते हैं या उन्हें रुकने के लिए धमकाते हैं। लड़ने से इनकार करने वाले 200 लोगों के समूह में से एक सैनिक ने कहा कि उनमें से कुछ ही अपने घर लौट पाए। जबकि कई बाकियों को ब्रायंका के तहखाने में कैद कर दिया गया या वापस अग्रिम मोर्चों पर भेज दिया गया।


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