विश्व

रूस ने भी शहरों और गली मोहल्लों के नाम बदल रहे, जानिए वजह

Kunti Dhruw
17 Nov 2020 2:17 PM GMT
रूस ने भी शहरों और गली मोहल्लों के नाम बदल रहे, जानिए वजह
x

रूस ने भी शहरों और गली मोहल्लों के नाम बदल रहे, जानिए वजह 

शहरों, मोहल्लों और गली चौराहों के नाम बदलने का काम भारत में ही नहीं तमाम देशों में होता रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : शहरों, मोहल्लों और गली चौराहों के नाम बदलने का काम भारत में ही नहीं तमाम देशों में होता रहा है। ताजा उदाहरण रूस का है। रूस के शहर तारुसा में लेनिन स्ट्रीट का नाम बदलकर कालुझस्कया स्ट्रीट कर दिया गया है। कालुझस्कया उस इलाके का नाम है, जहां ये सड़क मौजूद है।

राजधानी मास्को से 140 किलोमीटर दूर स्थित इस प्राचीन शहर की सिटी काउंसिल ने पिछले महीने सभी सड़कों से कम्युनिस्ट नेताओं के नाम हटाने का फैसला किया था। उसका ये फैसला अब रूस में एक बड़े विवाद और बहस का मुद्दा बन गया है।

रूस में कम्युनिस्ट शासन खत्म हुए 30 साल पूरे होने वाले हैं। मगर ये देश आज तक अपने सोवियत अतीत से मुक्त नहीं हो पाया है। देश में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो आज भी खुद को उस अतीत से जोड़ते हैं। वे और बहुत से दूसरे लोग नाम बदलने या स्मारक गिराने की सोच से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि नाम बदलना या मूर्तियां गिराना असल में रूस से उसका इतिहास और उसका गौरव छीनने की कोशिश है।

लेकिन तारुसा की सिटी काउंसिल ने सोवियत दौर से जुड़े कुल 15 सड़कों के नाम बदलने का फैसला किया है। सिटी काउंसिल के सदस्य सर्गेई मानाकोव ने अखबार 'मास्को टाइम्स' से कहा- हम यह दिखाना चाहते हैं कि हमारे शहर का इतिहास सिर्फ पूर्व सोवियत संघ से नहीं जुड़ा है। हमारी संस्कृति 700 साल पुरानी है।

मानाकोव राष्ट्रपति व्लादीमीर की यूनाइटेड रशिया पार्टी के नेता हैं। उन्होंने कहा- लेनिन के नाम पर सड़कें आज भी रूस में लगभग हर जगह मौजूद हैं। हम अपने शहर को उन सब जगहों से अलग दिखाना चाहते हैं।

साल 2017 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक रूस में 5,776 सड़कों के नाम लेनिन के नाम पर हैं। तारुसा के पहले कई दूसरे शहरों में भी इन नामों को बदला गया है। लेनिन के नाम पर ही लेनिनग्राद शहर था। लेकिन सोवियत संघ के ढहने के बाद उसका नाम सेंट पीटर्सबर्ग रख दिया गया। सोवियत क्रांति के पहले उस शहर का यही नाम था। राजधानी मास्को में भी लेनिन के नाम वाली कुछ सड़कों के नाम गुजरे दशकों में बदले गए हैं।

लेकिन तारुसा में अब जो हुआ, वह अब देश में जारी मौजूदा रूझान के विपरीत है। मास्को स्थित थिंक टैंक कारनेगी सेंटर से जुड़े आंद्रेई कोलेसनिकोव के मुताबिक अब रूस में अधिक से अधिक लोग सोवियत संघ के बारे में अच्छी राय रखने लगे हैं।

पूर्व सोवियत शासक स्टालिन के बारे में भी अब बड़ी संख्या में लोगों की राय सकारात्मक हो गई है। पिछले साल ऐसी राय रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। पिछले मार्च में स्वतंत्र एजेंसी लेवाडा सेंटर द्वारा किए गए सर्वे से सामने आया कि लगभग 75 फीसदी लोग अब सोवियत दौर को अपने देश के इतिहास का सर्वोत्तम काल मानते हैं।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दस हजार की आबादी वाले तारुसा शहर में भी नाम बदलने के मुद्दे पर तीखा ध्रुवीकरण हो गया है। विरोधियों का कहना है सिटी काउंसिल ने बिना कोई जनमत संग्रह कराए ये फैसला ले लिया। हाल में कराए गए एक ऑनलाइन सर्वे से सामने आया कि आधे लोग इस निर्णय के खिलाफ हैं, जबकि लगभग उतने ही लोग इसके समर्थक हैं।

जिस समय तारुसा ने अपने कम्युनिस्ट अतीत से पीछा छुड़ाने का फैसला किया है, उसकी वक्त कुछ ऐसे शहर भी हैं, जो सोवियत दौर के प्रतीकों के प्रति नया उत्साह दिखा रहे हैं। इस साल मई में रूस के तीसरे सबसे बड़े शहर नोवोसिविर्स्क में जोसेफ स्टालिन की मूर्ति का अनावरण किया गया। ये प्रतिमा शहर के बीचो-बीच लगाई गई है। पिछले हफ्ते सेंट पीटर्सबर्ग में एक अपार्टमेंट के प्रबंधकों ने उन 16 लोगों से संबंधित स्मृति चिह्नों को हटा दिया, जो कथित तौर पर स्टालिन के अत्याचार का शिकार हुए थे।

रूस की कम्युनिस्ट पार्टी ने तारुसा में उठाए जा रहे कदमों की निंदा की है। पार्टी के महासचिव गेन्नादी ज्यूगानोव ने कहा कि इस शहर में 'महान सोवियत युग' का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तारुसा के अधिकारी नाजी और फासीवादी नक्शे-कदम पर चल रहे हैं।

Next Story