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मॉस्को | रूस में वैगनर ग्रुप के विद्रोह के मद्देनजर अमेरिका और यूरोप अलर्ट हो गए हैं। इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा अप्रत्याशित तरीके से बेलारूस उभर कर आया है। पश्चिमी अधिकारियों को डर है कि वह रूस से निर्वासित वैगनर ग्रुप को नया घर दे सकता है। इसके अलावा बेलारूस रूसी परमाणु हथियारों का अड्डा बन सकता है। हालांकि अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है, जिससे यह लगे कि ऐसा कुछ हो रहा है। हालांकि रूस में विद्रोह के बाद बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में एक नया सैन्य शिविर बना है, जिस पर वह बारीकी से नजर रख रहे हैं। इससे यह भी पता चलता है कि वैगनर ग्रुप बड़ी संख्या में यहां नहीं आए हैं।
बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने दावा किया था कि वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन मिन्स्क में हैं। बाद में उन्होंने कहा कि प्रिगोझिन रूस में नहीं हैं। गुरुवार को उन्होंने यह भी कहा कि संभव है प्रिगोझिन बेलारूस में न आने का फैसला करें। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कुछ हफ्तों पहले यह भी कहा था कि बेलारूस में परमाणु हथियारों को संग्रह करने की फैसिलिटी 7 जुलाई तक बन जाएगी। हालांकि अभी तक इसका कोई संकेत नहीं मिला है। अधिकारियों का कहना है कि बेलारूस के पास अभी भी हथियारों को रखने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा नहीं है।
सैटेलाइट तस्वीरें भी ऐसा कोई संकेत नहीं देती हैं, जिससे लगे कि रूस अपने परमाणु हथियार को बेलारूस भेजने की तैयारी कर रहा है। रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हथियारों का जखीरा है। इनमें से 1,900 टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार और 4,477 तैनात और आरक्षित हैं। अभी यह भी साफ नहीं है कि रूस इनमें से कितना हथियार बेलारूस में तैनात करना चाहता है। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में रूसी और यूरोपीय अध्ययन के निदेशक मैक्स बर्गमैन के मुताबिक रूस की स्थिति बेहद भ्रामक है। हम नहीं जानते पुतिन अगला कदम क्या उठाएंगे।
उन्होंने कहा, 'पुतिन बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करने की बात कहते हैं, लेकिन असल में उन्हें इनके इस्तेमाल के लिए बेलारूस में भेजने की जरूरत नहीं है। बल्कि अमेरिका के लिए असली चिंता यह है कि इन परमाणु हथियारों को वैगनर ग्रुप के साथ न तैनात कर दिया जाए।' पश्चिम के खुफिया अधिकारी अभी भी यह समझने में लगे हैं कि आखिर रूस बेलारूस में अपने परमाणु हथियारों की रक्षा कैसे करेगा। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि अमेरिकी अधिकारी मानते हैं कि जब इन पर कंट्रोल की बात आएगी तो यह हथियार लुकाशेंको या वैगनर ग्रुप के नहीं, बल्कि पुतिन के हाथ में होंगे।
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Harrison
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