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पहले से ही व्याप्त गंभीर मानवीय संकट और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रहा है.’
यूक्रेन के मुद्दे पर रूस किसी भी कीमत पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है. दोनों देशों के बीच चल रहा युद्ध एक बार फिर आक्रमक हो गया है. एक तरफ जहां रूस ने युद्ध के मैदान में यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पुतिन ने युद्ध के मैदान से बाहर कूटनीति स्तर पर भी आर पार की लड़ाई का मूड बना लिया है. हाल ही में रूस ने एक ऐसा फैसला लिया है जो पूरी दुनिया में रोटी का संकट ला सकता है. दरअसल, रूस ने यूक्रेन के साथ अनाज निर्यात की डील सस्पेंड कर दी है. आइए आपको विस्तार से बताते हैं क्या है पूरा मामला.
समझौता रिन्यू न करने के पीछे रूस ने दी ये दलील
रूस ने शनिवार को कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए अनाज निर्यात समझौते के क्रियान्वयन को फौरन सस्पेंड करेगा. बता दें कि इस समझौते के कारण यूक्रेन से नौ करोड़ टन से अधिक अनाज का निर्यात हुआ था और इसने ग्लोबल स्तर पर खाद्य कीमतों में कमी लाने में मदद की थी. पर अब अचानक पुतिन ने इस समझौते को रद्द करने का ऐलान किया है. इसके पीछे की वजह उसने क्रीमिया में काला सागर स्थित रूसी जहाजों पर यूक्रेन द्वारा शनिवार को कथित तौर पर किए गए ड्रोन हमले को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि यूक्रेन ने ऐसे किसी भी हमले से इनकार किया है.
नवंबर में इस तारीख से खत्म होगा समझौता
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच अनाज निर्यात के लिए जो समझौता हुआ था वह 19 नवंबर को समाप्त हो रहा है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने रूस और यूक्रेन से समझौते को रिन्यू करने का आग्रह किया था. उसके एक दिन बाद शनिवार को रूस ने इसे खारिज करते हुए समझौता आगे न बढ़ाने की बात कही है. यह समझौता दोनों देशों के बीच जुलाई में संयुक्त राष्ट्र और तुर्की के प्रयास से हुआ था. अपने आग्रह के दौरान गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा था कि दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा में योगदान करने के लिए और वैश्विक स्तर पर जीवन के संकट को कम करने के लिए इस समझौते का रिन्यू होना जरूरी है.
अमेरिका ने भी की इस फैसले की आलोचना
वहीं अमेरिका ने रूस के इस फैसले की निंदा की है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस पर कहा कि 'अनाज निर्यात समझौते का निलंबन खेदजनक है. इस समझौते को निलंबित करके रूस फिर से युद्ध में भोजन को हथियार बना रहा है, निम्न और मध्यम आय वाले देशों और वैश्विक खाद्य कीमतों को प्रभावित कर रहा है और पहले से ही व्याप्त गंभीर मानवीय संकट और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रहा है.'
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Neha Dani
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