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'जैसे को तैसा' के तहत रूस ने Germany के दो राजनयिकों को निकाला, जानें क्या है पूरा मामला

Renuka Sahu
21 Dec 2021 1:42 AM GMT
जैसे को तैसा के तहत रूस ने  Germany के दो  राजनयिकों को निकाला, जानें क्या है पूरा मामला
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फाइल फोटो 

रूस ने ‘जैसे को तैसा’ कार्रवाई के तहत जमर्नी के दो राजनयिक को देश छोड़ने का हुक्म दिया है. इससे पहले जर्मनी ने अपने देश से रूस के दो राजनयिकों को निकाल दिया था.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूस ने 'जैसे को तैसा' कार्रवाई के तहत जमर्नी के दो राजनयिक को देश छोड़ने का हुक्म दिया है. इससे पहले जर्मनी ने अपने देश से रूस के दो राजनयिकों को निकाल दिया था. जर्मनी ने यह कार्रवाई बर्लिन की एक अदालत के फैसले के बाद की थी. अदालत ने कहा था कि बर्लिन में दो साल पहले चेचन व्यक्ति की हत्या के लिए मॉस्को जिम्मेदार है.

मॉस्को ने बर्लिन की अदालत के फैसले पर नाराज़गी जताते हुए इसे खारिज कर दिया था और रूस के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को जर्मनी के राजदूत को तलब किया था ताकि उन्हें राजनयिकों को निष्कासित किए जाने के बारे में जानकारी दी जा सके. मंत्रालय ने इसे जर्मनी की सरकार द्वारा नाखुशगवार फैसलों की प्रतिक्रिया बताया है.
मंत्रालय ने चेताया कि रूस बर्लिन की ओर से उठाए जाने वाले किसी भी संभावित टकराव वाले कदम का जवाब देने से हिचकिचाएगा नहीं. बर्लिन की क्षेत्रीय अदालत के न्यायधीशों ने बुधवार को 56 वर्षीय वादिम क्रैसिकोव को ज़ेलीमखान 'तोरनिके' खानगोशविली की हत्या करने का दोषी पाया था. 40 वर्षीय खानगोशविली चेचन नस्ल के जॉर्जियाई नागरिक थे.
रूस ने जर्मन राजनयिकों के देश छोड़ने की नहीं तय की कोई समय-सीमा
अदालत ने कहा कि क्रैसिकोव ने रूसी संघीय अधिकारियों के आदेश पर काम किया. अदालत के निर्णय के बाद जर्मनी ने रूस के दो राजनयिकों को देश से निकाल दिया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रूस ने भी जर्मनी के दो राजनयिकों को देश से बाहर निकलने का आदेश दिया था. हालांकि इस आदेश में उन्होंने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि दोनों जर्मन राजनायिकों को कब तक देश छोड़ देना होगा.
गौरतलब है कि 23 अगस्त, 2019 को बर्लिन के क्लेनर टियरगार्टन पार्क में खानगोशविली की हत्या की गई थी, जिसके पीछे रूस का हाथ पाए जाने का आरोप था. इस घटना के बाद पूरे बर्लिन में रूसी राजनयिकों के खिलाफ आक्रोश फैल गया और जर्मन सरकार को उस समय दो अन्य रूसी राजनयिकों को देश से निष्कासित करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

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