विश्व
उत्तर कोरिया की पीठ पर रूस-चीन का हाथ, हथियारों पर कैसे लगेगी लगाम?
Kajal Dubey
15 Jun 2022 12:05 PM GMT
x
पढ़े पूरी खबर
दशकों से पश्चिमी देशों के सख्त प्रतिबंध के बावजूद उत्तर कोरिया अपने परमाणु और पारंपरिक हथियारों का जखीरा बढ़ाने में कामयाब रहा है। अब दुनिया में नए बन रहे हालात के बीच उस पर लगाम लगाना और मुश्किल दिख रहा है। रूस और चीन अब खुल कर उसके पक्ष में खड़े होने लगे हैं।
बीते 27 मई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उत्तर कोरिया पर और अधिक सख्त प्रतिबंध लगाने के लिए लाए गए अमेरिकी प्रस्ताव को जिस तरह रूस और चीन ने वीटो कर दिया, उससे पश्चिमी देशों में चिंता काफी बढ़ गई है। अमेरिका ने उत्तर कोरिया को आर्थिक रूप से दंडित करने के लिए पहली बार सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किया था। गुजरे वर्षों में आम तौर पर रूस और चीन उत्तर कोरिया के हथियारों के बढ़ते जखीरे को नियंत्रित करने के प्रस्तावों के साथ रहते थे। लेकिन अब उनका अलग रुख सामने आया है।
प्रतिबंध पर रूस-चीन ने किया वीटो
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान चीन के राजदूत झांग जुन ने उत्तर कोरिया के मामले में अमेरिका पर असंगत नीतियां अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया से बातचीत शुरू की थी। उस दौरान उत्तर कोरिया ने अपनी 'उचित चिंताएं' अमेरिका को बताई थीं। लेकिन अमेरिका ने उन्हें नजरअंदाज किया। उसी का नतीजा कोरियाई प्रायद्वीप का मौजूदा संकट है। रूस की उप राजदूत अना एवस्तिग्नीवा ने कहा कि पहले लगाए गए प्रतिबंध उस क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रहे हैं। इसलिए नए प्रतिबंधों से भी कोई लाभ नहीं होगा।
इस सोमवार को लग्जमबर्ग में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान और चीन के सर्वोच्च राजनयिक यांग जिची के बीच चार घंटों की बातचीत हुई। उस दौरान सुलिवान ने चीनी वीटो का मुद्दा उठाया। इस बीच विश्लेषकों ने राय जताई है कि रूस और चीन का साथ मिलने के बाद अब उत्तर कोरिया पश्चिमी चिंताओं की कोई फिक्र करेगा, इसकी संभावना कम है। हकीकत यह है कि अब उत्तर कोरिया के रूस और चीन से अधिक निकट रिश्ते बन गए हैं। बीते हफ्ते रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को लिखे एक पत्र में उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने यूक्रेन युद्ध में रूस को पूरा समर्थन देने की बात कही। उन्होंने कहा- 'उत्तर कोरिया के लोग रूस को अपना पूरा समर्थन और प्रोत्साहन देते हैं, जिसने अपने देश की गरिमा और सुरक्षा की रक्षा करने के उचित उद्देश्य को हासिल करने की दिशा में महान सफलताएं पाई हैं।'
अमेरिका से असहमत हैं ज्यादातर देश
विश्लेषकों के मुताबिक उत्तर कोरिया के मुद्दे पर भी पहल अमेरिका के हाथ से निकलती नजर आ रही है। अमेरिका से प्रकाशित द इंटरनेशनल जर्नल ऑन वर्ल्ड पीस के एसोसिएट एडिटर मार्क बैरी ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा है- 'मुझे नहीं लगता कि दुनिया के ज्यादातर देश अमेरिकी समझ से सहमत हैं। बल्कि वे रूस और चीन की इस दलील में यकीन करते दिख रहे हैं कि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों को खत्म करने के लिए चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ा जाना चाहिए।'
उधर अमेरिका स्थित बुकनेल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जिचुन झू ने कहा है- 'संभावना इस बात की है कि अमेरिका और चीन के खराब संबंधों का फायदा उत्तर कोरिया उठाएगा। उसे मालूम है कि अमेरिका और चीन आपसी होड़ में व्यस्त हैं और उनके पास उत्तर कोरिया पर ध्यान देना का पर्याप्त वक्त नहीं है।'
Next Story