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. बता दें कि रूस-यूक्रेन जंग को 50 दिनों से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन अब तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है.
काला सागर में अपने एक महत्वपूर्ण युद्धपोत के नष्ट होने के बाद रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं. रूसी सेना (Russian Troops) यूक्रेन के बंदरगाह शहर मारियुपोल (Mariupol) को पूरी तरह अपने कब्जे में लेने की कोशिश में जुटी है. सेना ने रविवार को एक विशाल इस्पात संयंत्र को नष्ट कर दिया, जो दक्षिणी यूक्रेन के मारियुपोल में प्रतिरोध का आखिरी स्थान था. रूस ने यूक्रेनी सैनिकों से सरेंडर करने को कहा है, लेकिन यूक्रेन ने इससे साफ इनकार कर दिया है.
'आखिरी सांस तक करेंगे सामना'
यूक्रेन के प्रधानमंत्री का कहना है कि मारियुपोल में उनके सैनिक डटे रहेंगे और आखिरी सांस तक रूस का सामना करेंगे. वहीं, रूसी सेना ने मारियुपोल में तैनात यूक्रेनी बलों से कहा कि यदि वे अपने हथियार डाल देते हैं, तो उन्हें उनके जीवित रहने की गारंटी दे दी जाएगी. रूसी रक्षा मंत्रालय की तरफ से रविवार को कहा गया कि यूक्रेनी सैनिक केवल तभी बच सकते हैं, जब वे सरेंडर कर दें.
रूसी रक्षा मंत्रालय की धमकी
रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कोनाशेनकोव ने कहा कि जो लोग प्रतिरोध जारी रखेंगे, उनका खात्मा तय है. इसके जवाब में यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शिमगल ने कहा कि हम इस युद्ध में जीत के लिए अंत तक लड़ाई लड़ेंगे. यूक्रेन कूटनीति के जरिए युद्ध समाप्त करने को तैयार है, लेकिन हमारा इरादा आत्मसमर्पण का नहीं है. उधर, यूक्रेन के उप रक्षामंत्री हन्ना मालयार ने मारियुपोल को यूक्रेन की रक्षा करने वाली ढाल के रूप में बताया. उन्होंने कहा कि मारियुपोल पर रूस के हमले के बावजूद यूक्रेनी सेना वहां डटी हुई है.
क्यों अहम है मारियुपोल?
रूस जल्द से जल्द मारियुपोल पर कब्जा चाहता है, क्योंकि ऐसा करने से उसे क्रीमिया तक जमीनी गलियारा मिल जाएगा. मारियुपोल में यूक्रेनी बलों को हराने के बाद वहां तैनात रूसी बल डोनबास की ओर बढ़ सकेंगे. रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. बता दें कि रूस-यूक्रेन जंग को 50 दिनों से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन अब तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है.
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