रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं. राजधानी कीव समेत कई शहरों पर सोमवार को ताबड़तोड़ मिसाइल हमले किए गए. हमले में कई लोगों के मारे जाने की खबर है. रूस को क्रीमिया से जोड़ने वाले पुल पर किये गए हमले के बाद से मॉस्को के तेवर और सख्त हो गए हैं. पुतिन ने इस हमले को आतंकी गतिविधि बताया था. इसी ब्रिज से यूक्रेन के दक्षिणी हिस्से में रूस अपनी फौज को हथियार और बाकी जरूरी सामानों की सप्लाई करता है. इस बीच रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने यूक्रेन पर हवाई हमलों को फर्स्ट एपिसोड बताया है. उन्होंने दावा किया कि यूक्रेन को सबक सिखाना अब जरूरी हो गया है.
उन्होंने कहा, 'पहला एपिसोड पूरा हो गया है. आगे और भी होंगे.' रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी हेड मेदवेदेव ने कहा, 'यूक्रेन हमेशा मॉस्को के लिए स्थायी, प्रत्यक्ष और तत्काल खतरा पैदा करेगा. इसलिए, हमारे लोगों की रक्षा करने, सीमा को सुरक्षित करने के लिए यूक्रेनी राजनीतिक शासन को पूरी तरह से खत्म करना ही मकसद होना चाहिए.' यूक्रेनी मीडिया ने ल्वीव, तेरनोपिल, खमेलनित्सकी, जितोमिर और क्रोपिव्नित्स्की समेत कई अन्य जगहों पर विस्फोट की जानकारी दी है.
पुतिन ने दी थी चेतावनी
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पिछले दिनों पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी थी और कहा था कि रूस अपनी रक्षा के लिए एटमी हथियारों का भी इस्तेमाल करने को तैयार है. यह सिर्फ झांसा नहीं है. पुतिन ने यूक्रेन पर कब्जा करने की योजना का भी समर्थन किया था.
रूस के सख्त तेवरों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेदवेदेव ने कहा था कि रूस को परमाणु हथियारों से अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है. उन्होंने कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ रूस को सबसे खतरनाक हथियार इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया गया है. बड़े स्तर पर आक्रामकता की गई है, यह हमारे अस्तित्व के लिए खतरनाक है.
रूस-अमेरिका के पास 90 फीसदी हथियार
बता दें कि दुनिया के 90 फीसदी हथियारों का जखीरा अमेरिका और रूस के पास है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक, रूस के पास 5,977 एटमी हथियार हैं, जबकि अमेरिका के पास 5,428. चीन के पास 350, फ्रांस के पास 290 और ब्रिटेन के पास 225 हथियार हैं.