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तो यह एक बड़ी सफलता होगी।
अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच रूस और चीन अंतरिक्ष में भी दबदबा कायम करने की कोशिश में जुटे हैं। घातक स्पेस वेपन के बाद अब ये दोनों देश अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के स्पेस स्टेशन (ISS) से अलग होकर खुद का स्पेस स्टेशन स्थापित करने जा रहे हैं। चीन ने तो अपने स्पेस स्टेशन को अंतरिक्ष में भेजने में प्रयोग होने वाले रॉकेट को लॉन्चिंग पैड पर तैनात कर दिया है। रूस भी 2030 तक अपने स्पेस स्टेशन को पूरी तरह सक्रिय करने की तैयारी में जुटा हुआ है।
रॉकेट को लॉन्चिंग पैड पर किया गया शिफ्ट
चाइना डेली की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार सुबह लॉन्ग मार्च-5 बी रॉकेट को वेन्चांग स्पेस लॉन्च सेंटर के लॉन्चिंग पैड पर तैनात कर दिया गया है। इस रॉकेट के जरिए अप्रैल के अंत में चीनी स्पेस स्टेशन के कोर कैप्सूल को अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाएगा। यह लॉन्ग मार्च-5बी की दूसरी उड़ान होगी। चीन ने अपने स्पेस स्टेशन को टियोंगॉन्ग (Tiangong) नाम दिया है। चीनी भाषा में इसका मतलब जन्नत का महल होता है।
2022 से काम करना करेगा शुरू
चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह स्पेस स्टेशन अगले साल से काम करना शुरू कर देगा। इसकी जीवन अवधि 15 साल आंकी गई है। यह मल्टीमॉडल स्पेस स्टेशन मुख्य रूप से तीन पार्ट से मिलकर बना होगा, जिसमें एक अंतरिक्ष कैप्सूल और दो लैब होंगी। इन सभी का कुल भार 90 मीट्रिक टन के आसपास होगा। स्पेस स्टेशन के कोर कैप्सूल का नाम तियान्हे (Tianhe) रखा गया है, जिसका मतलब स्वर्ग का सद्भाव होता है।
आधुनिक होगा चीन का स्पेस कैप्सूल
चीनी कोर कैप्सूल की लंबाई 4.2 मीटर और डायामीटर 16.6 मीटर है। इसी जगह से पूरे अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन किया जाएगा। अंतरिक्ष यात्री इसी जगह पर रहते हुए पूरे स्पेस स्टेशन को कंट्रोल कर सकेंगे। इस मॉड्यूल में साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करने की भी जगह होगी। इस कैप्सूल में कनेक्टिंग सेक्शन के तीन हिस्से होंगे, जिसमें एक एक लाइफ-सपोर्ट, दूसरा कंट्रोल सेक्शन और तीसरा रिसोर्स सेक्शन होगा।
रूस ने भी शुरू की स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मंजूरी मिलने के बाद अपने अंतरिक्ष स्टेशन को बनाने काम शुरू कर दिया है। एजेंसी ने दावा किया है कि साल 2030 तक उसका दूसरा स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन काम करने लगेगा। इससे पहले अप्रैल 1971 में रूस ने सोयूत-1 (Salyut 1) नाम का स्पेस स्टेशन लॉन्च किया था। माना जा रहा है कि यह प्रोजक्ट रूसी स्पेस एक्सप्लोरेशन के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा।
अमेरिका के ISS को रूस ने बताया खतरनाक
1998 से रूस अमेरिका सहित कई अन्य देशों के साथ मिलकर नासा के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को ऑपरेट कर रहे थे। कुछ दिनों पहले ही रूस ने आईएसएस को कबाड़ बताते हुए इसे अंतरिक्षयात्रियों के लिए खतरनाक घोषित कर दिया है। इस अलगाव के बाद रूस को अब खुद के स्पेस स्टेशन की जरुरत आन पड़ी है। रोस्कोस्मोस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने कहा कि 2030 में अगर अपनी योजनाओं के अनुसार इसे कक्षा में डाल सकते हैं, तो यह एक बड़ी सफलता होगी।
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