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स्कूलों की भोजनसूची से मांस हटाने को लेकर बढ़ा बवाल, कई मंत्रियों ने की कड़ी आलोचना

Deepa Sahu
25 Feb 2021 4:08 PM GMT
स्कूलों की भोजनसूची से मांस हटाने को लेकर बढ़ा बवाल, कई मंत्रियों ने की कड़ी आलोचना
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फ्रांस के लियोन शहर में स्कूलों में मांस परोसने पर अस्थायी रोक लगाने के फैसले

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: फ्रांस के लियोन शहर में स्कूलों में मांस परोसने पर अस्थायी रोक लगाने के फैसले से देश में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान भोजनसूची से मांस को हटाने का आदेश शहर के ग्रीन पार्टी के मेयर ग्रेगरी दौसे ने दिया। ग्रीन पार्टी मांसाहार का इस तर्क के आधार पर विरोध करती है कि इससे पर्यावरण को नुकसान होता है। लियोन शहर में ये आदेश बीते सोमवार से लागू हो चुका है। खबर है कि फ्रांस के कई और शहरों में भी ऐसा कदम उठाने पर विचार किया जा रहा है।

लेकिन फ्रांस सरकार के कई मंत्रियों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि दौसे के आदेश का कोरोना महामारी से कोई संबंध नहीं है, बल्कि ये कदम उन्होंने अपनी 'विचारधारा' के मुताबिक उठाया है। इस कदम को कई हलकों से अभिजात्यवादी भी बताया गया है।लियोन की सिटी काउंसिल ने कहा है कि बिना मांस का भोजन देना व्यावहारिक रूप से संभव है। उसने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग के लागू नियमों के कारण कैंटीन्स में एक साथ कम छात्र बैठ पा रहे हैं। ऐसे में अगर दो घंटों के अंदर उन सबको मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार का भोजन उपलब्ध कराना संभव नहीं है। लियोन में 29 हजार से ज्यादा छात्र हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि फ्रांस में जितना कार्बन उत्सर्जन होता है, उसमें एक चौथाई हिस्सा मांस उत्पादन की प्रक्रियाओं का है। इसलिए फ्रांस सरकार भी लोगों को अधिक से अधिक स्थानीय खाद्य और कम लेकिन ऊंची गुणवत्ता का मांस खाने की सलाह दे रही है। पिछले साल फ्रांस के सीनेट ने शाकाहार आधारित अधिक खाद्यों के उपभोग की सिफारिश की थी। लेकिन सीनेट ने इसका कारण फास्ट फूड के सेहत पर पड़ने वाले खराब असर को बताया था। इसके अलावा इस रूप में मांसाहारी खाद्य तैयार करने के प्रस्ताव भी पेश किए गए हैं, जिनमें कम कार्बन उत्सर्जन हो।

लेकिन जानकारों के मुताबिक फ्रांस में मांस उत्पादन से जुड़ी बहुत मजबूत लॉबी है, जो मांसाहार घटाने के हर कदम का जोरदार विरोध करती है। लियोन में ताजा फैसला लागू होने के बाद वहां मांसाहार उत्पादन से जुड़े समूहों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। विरोध जताने के लिए वे टैक्टर पर अपनी गायें और बकरियां लेकर सिटी हॉल तक पहुंचे। उनके बैनरों पर लिखा था कि स्वास्थ्य के लिए मांसाहार जरूरी है और मांस पर प्रतिबंध भविष्य में वायरसों का मुकाबला करने के लिहाज से शरीर को कमजोर बनाना है।

फ्रांस के कृषि मंत्री जुलियन देनोर्मांदी ने लियोन में उठाए गए कदम को पौष्टिकता के लिहाज से बेतुका फैसला बताया है। उन्होंने लियोन सिटी काउंसिल से कहा है कि वह बच्चों के भोजन के प्लेट में अपनी विचारधारा ना परोसे। गृह मंत्री और कंजरवेटिव नेता जेराल्ड दार्मिंना ने कहा है कि ग्रीन पार्टी के लोग अपनी नैतिकता थोप रहे हैं और अभिजात्यवादी फैसले कर रहे हैं, जिसका नुकसान गरीब तबकों के बच्चों को होगा, जिन्हें मांस सिर्फ स्कूलों में ही उपलब्ध हो पाता है।
लेकिन फ्रांस की पर्यावरण मंत्री बारबरा पोम्पिली ने लियोन में उठाए गए कदम का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि अनुसंधानों से ये धारणा गलत साबित हो चुकी है कि गरीब बच्चों को कम मांस उपलब्ध होता है। स्वास्थ्य मंत्री ओलिवयर वेरॉं ने कहा है कि भोजनसूची में मांस या मछली को शामिल ना करने का फैसला किसी रूप में सदमा पहुंचाने वाली खबर नहीं है।
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस बारे में अभी तक अपनी जुबान नहीं खोली है। मैक्रों खुद को ना तो दक्षिणपंथी और ना वामपंथी बताते हैं। उनकी पार्टी में सभी विचारधाराओं के लोग हैं। उनकी चुप्पी को सबको साथ लेकर चलने की उनकी रणनीति का हिस्सा समझा गया है। बीते मंगलवार को उन्होंने एक दूसरे संदर्भ में यह जरूर कहा था कि स्कूली बच्चों को 'पूरी पौष्टिकता' दी जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि फ्रांस में अच्छी गुणवत्ता के मीट का उत्पादन होता है।

बढ़ते विवाद को देखते हुए लियोन के मेयर दौसे ने खंडन किया कि वे बच्चों पर शाकाहार थोप रहे हैँ। उन्होंने कहा कि वे खुद मांस खाते हैं और ये कदम सिर्फ अस्थायी रूप से उठाया गया है। गौरतलब है कि फ्रांस में पर्यावरण संरक्षण एक बड़ा मुद्दा है। पिछले साल हुए स्थानीय निकाय चुनाव में ग्रीन पार्टी को मिली भारी कामयाबी को पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों की बढ़ती लोकप्रियता का संकेत मान गया था। उस चुनाव में लियोन में ग्रीन पार्टी ने राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी को हरा दिया था।


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