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यही तालिबान ने अशरफ गनी सरकार के खिलाफ किया था।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में 83 हजार लोगों की हत्या के जिम्मेदार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के साथ पाकिस्तानी सेना की डील को लेकर बवाल मचा हुआ है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने इस डील को न्यायसंगत ठहराने के लिए दावा कर रहे हैं कि टीटीपी आतंकी आईएसकेपी और भारत की रॉ से हाथ मिला सकते हैं। इस बीच पाकिस्तानी विशेषज्ञ सेना के इस तर्क से सहमत नहीं नजर आ रहे हैं। उनका मानना है कि टीटीपी आतंकी परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान में एक अलग जिहादी देश बना सकते हैं जिसकी अपनी निजी सेना होगी। आइए समझते हैं पूरा मामला...
टीटीपी ने बातचीत के दौरान तीन मांगें रखी हैं। टीटीपी का कहना है कि उसे हथियार रखने, सेना को बनाए रखने और जिन क्षेत्रों पर उसका नियंत्रण है, वहां व्यापक स्वायत्तता दी जाए। पाकिस्तानी सेना ने देश की संसदीय समिति के सामने कहा है कि वह इन तीनों ही मांगों को नहीं मानेगी। उधर, टीटीपी के सरगना ने पिछले दिनों चेतावनी दी थी कि ये तीनों ही मांगें उनके लिए रेड लाइन है और वे इससे समझौता नहीं करेंगे। पाकिस्तानी विशेषज्ञ आयशा सिद्दकी का कहना है कि असली समस्या समझौता करना नहीं है, बल्कि पाकिस्तान सेना के टीटीपी वाले इलाके से हटने पर उसे लागू करने में है।
निजी सेना के अस्तित्व को अनुमति दे सकते हैं ?
सिद्दकी ने कहा कि पाकिस्तान का अनुभव रहा है कि टीटीपी पूरी तरह से विचारधारा से जुड़ा है। टीटीपी अपने इलाके का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना के हटने पर भविष्य में अपने हमले करने के लिए लॉन्चपैड के रूप में कर सकता है। पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर का कहना है कि टीटीपी ने हथियार रखने और अपने उग्रवादी संगठन के ढांचे को बर्बाद करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने सवाल किया है कि क्या एक परमाणु हथियारों से लैस देश अपने क्षेत्र में निजी सेना के अस्तित्व को अनुमति दे सकता है? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार टीटीपी के आगे झुकते हुए ऐसे आतंकियों को छोड़ रही है जिन्होंने देश के हजारों लोगों की जान ली है।
हामिद मीर कहते हैं कि पाकिस्तान सरकार इन आतंकियों को इस उम्मीद में छोड़ रही है ताकि उसका टीटीपी के साथ एक शांति समझौता हो जाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना टीटीपी के साथ एक समझौते के लिए बेताब है जबकि इस आतंकी संगठन ने 83 हजार लोगों की पाकिस्तान में हत्या की है। मीर ने कहा कि यह जंग बहुत लंबी खींच गई है और यही वजह है कि पाकिस्तानी नेता अब शांति समझौता चाहते हैं लेकिन आतंकियों से बातचीत ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि टीटीपी अपने सहयोगी अफगान तालिबान की काबुल पर जीत से काफी प्रभावित है। सुपर पावर अमेरिका पर तालिबान की जीत से टीटीपी का हौसला काफी बढ़ा हुआ है। मीर ने चेताया कि शहबाज सरकार टीटीपी के जिन आतंकियों को छोड़ रही है, वे आगे चलकर पाकिस्तान के खिलाफ ही हमला कर सकते हैं। यही तालिबान ने अशरफ गनी सरकार के खिलाफ किया था।
Neha Dani
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