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श्रीलंका में दाने-दाने के लिए दंगे! करेंसी बनी कागज, पेट्रोल-डीजल की बूंद को मोहताज है देश

Subhi
2 April 2022 1:08 AM GMT
श्रीलंका में दाने-दाने के लिए दंगे! करेंसी बनी कागज, पेट्रोल-डीजल की बूंद को मोहताज है देश
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हमारे देश में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को बड़ा मुद्दा बनाने वाले लोगों को श्रीलंका से सबक लेना चाहिए. श्रीलंका में इस समय डीजल खत्म हो गया है और पेट्रोल आयात करने के लिए उसके पास पैसा नहीं बचा है.

हमारे देश में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को बड़ा मुद्दा बनाने वाले लोगों को श्रीलंका से सबक लेना चाहिए. श्रीलंका में इस समय डीजल खत्म हो गया है और पेट्रोल आयात करने के लिए उसके पास पैसा नहीं बचा है. डीजल खत्म होने की वजह से वहां के बड़े-बड़े Power Plants बन्द कर दिए हैं और एक दिन में 13 घंटे की Load Shedding हो रही है. हालात इतने खराब हैं कि वहां Street Lights भी बन्द कर दी गई हैं और अस्पतालों में सर्जरी भी रोक दी गई है. दवाइयां और खाने-पीने के सामान के लिए वहां लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं, जिसकी वजह से कई जगहों पर दंगे भड़क गए हैं.

श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल का संकट

आज आपको जो बात समझनी है, वो ये कि सवा दो करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका अपने लोगों को पेट्रोल और डीजल नहीं दे पा रहा है. लेकिन भारत में 140 करोड़ लोगों की आबादी होते हुए भी आपको पेट्रोल और डीजल के लिए कहीं भी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा. सबसे बड़ी बात ये है कि अब रशिया बहुत ही सस्ते दामों पर भारत को कच्चा तेल बेचने के लिए तैयार हो गया है और अमेरिका जैसे देश भारत और रशिया के इस सौदे से काफी नाराज हैं. आज रूस के विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की है, जो पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा संदेश है. लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान इतना कमजोर देश निकला कि इमरान खान के रशिया चले जाने से ही वहां की सरकार खतरे में आ गई.

श्रीलंका के पास नहीं बचे आयात करने के पैसे

सबसे पहले आपको ये जानना चाहिए कि श्रीलंका में कैसे दाने-दाने के लिए दंगे हो रहे हैं. श्रीलंका में करेंसी कागज का टुकड़ा बन कर रह गई है और श्रीलंका की ये स्थिति इसलिए हुई है क्योंकि उसका Foreign Reserve यानी विदेशी मुद्रा भंडार पिछले दो साल में 70 प्रतिशत तक कम हो चुका है और इस समय श्रीलंका के पास सिर्फ 2.31 Billion Dollar यानी साढ़े 17 हजार करोड़ रुपये ही विदेशी मुद्रा के रूप में बचे है. जबकि कच्चे तेल और दूसरी चीजों के आयात पर ही उसका एक साल का खर्च 91 हजार करोड़ रुपये है. एक लाइन में कहें तो श्रीलंका की जेब खाली हो चुकी है और अब उसके पास ना तो कच्चा तेल खरीदने के लिए पैसा बचा है और ना ही वो गैस और दूसरी चीजों का आयात कर पा रहा है. इस वजह से श्रीलंका में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस समेत कई चीजों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट पड़ा ठप

पिछले तीन महीने में श्रीलंका में पेट्रोल की कीमतें 92 प्रतिशत और डीजल की कीमतें 76 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं. वहां प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत लगभग 300 रुपये और प्रति लीटर डीजल की कीमत 230 रुपये पर पहुंच चुकी है. यह कीमतें श्रीलंका की करेंसी के हिसाब से हैं. हालांकि, श्रीलंका में गुरुवार को ही डीजल पूरी तरह खत्म हो गया है. यानी अब वहां डीजल की एक बूंद भी नहीं बची है. इसकी वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट ठप पड़ गया है और डीजल से चलने वाली बसें खड़ी हो गई हैं. इसके अलावा बिजली के बड़े-बड़े Plants भी बन्द किए दिए हैं और Street Lights को भी बन्द रखने का फैसला किया गया है.

श्रीलंका में फैल रही अराजकता

रसोई गैस के लिए भी वहां लोगों को लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है. इसके अलावा वहां महंगाई ने भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. श्रीलंका में एक किलो-ग्राम चावल की कीमत 200 रुपये और 400 ग्राम दूध 800 रुपये का मिल रहा है. ये कीमतें Srilankan Rupees में हैं. इस आर्थिक संकट की वजह से श्रीलंका के लोगों में वहां सरकार के खिलाफ गुस्सा है और 31 मार्च को यानी कल देर रात हजारों लोगों की भीड़ ने श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन का घेराव करने की कोशिश की. इस दौरान भीड़ ने सेना के दो ट्रक और एक बस को भी आग लगा दी और इन लोगों द्वारा श्रीलंका की सेना पर पत्थर भी बरसाए गए. हालांकि इस हिंसा से पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे वहां से निकल गए थे. या आप कह सकते हैं कि वो हिंसा से पहले ही वहां से भाग गए. श्रीलंका के लोग इस आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे परिवार को सबसे बड़ा जिम्मेदार मान रहे हैं. असल में इस समय श्रीलंका को एक सरकार, नहीं बल्कि एक परिवार चला रहा है और ये परिवार है, राजपक्षे परिवार है.

एक परिवार के हाथ में देश की सत्ता

श्रीलंका की सरकार में इस परिवार के कुल सात लोग हैं. इनमें गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं, उनके भाई महिन्दा राजपक्षे श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं, चमल राजपक्षे सरकार में सिंचाई मंत्री हैं और सबसे छोटे भाई बासिल राजपक्षे वित्त मंत्री हैं. यानी चारों भाई सरकार में बड़े पदों पर हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे के पुत्र नमल राजपक्षे खेल मंत्री हैं और कृषि मंत्री चमल राजपक्षे के पुत्र शीशेंद्र राजपक्षे सरकार में जूनियर मिनिस्टर हैं. यानी श्रीलंका में इस समय एक ऐसी सरकार है, जो देशहित में कम और परिवारहित में ज्यादा काम कर रही है. आरोप है कि राजपक्षे परिवार ने आर्थिक संकट के बावजूद दूसरे देशों से कर्ज लेना जारी रखा और आयात पर भी अपनी निर्भरता को कम नहीं किया, जिससे वहां हालात बिगड़ते चले गए.

भारी कर्जे में डूब रहा है देश

अकेले भारत पिछले चार महीनों में श्रीलंका को 19 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दे चुका है और आज ही श्रीलंका की सरकार ने भारत से 11 हजार करोड़ रुपये का और कर्ज मांगा है. इसके अलावा श्रीलंका ने अपने कुल कर्ज का 36 प्रतिशत कर्ज अकेले चीन से लिया हुआ है और नौबत ये आ गई है कि अब श्रीलंका इस कर्ज को चुकाने की स्थिति में भी नहीं है और वो कच्चा तेल भी नहीं खरीद पा रहा है.

चीन बना रहा दबाव

भारत के लिए चिंता की बात ये है कि इस समय उसके दो पड़ोसी देशों में अस्थिरता का माहौल है. पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता है और वो आर्थिक संकट से गुजर रहा है. जबकि श्रीलंका में आर्थिक संकट गंभी

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