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इससे संक्रमण को गंभीर होने से रोकने का नया रास्ता निकल सकता है।'
कोरोना वायरस (कोविड-19) की चपेट में आने वाले लोगों में संक्रमण के गंभीर होने के खतरे को भांपने के लिए एक नया तरीका ईजाद किया गया है। एक नए अध्ययन के अनुसार, संक्रमण के प्रारंभिक दौर में शरीर के एंटीवायरल रिस्पांस से कोरोना के गंभीर होने के खतरे का अनुमान लग सकता है। इससे कोरोना संक्रमण को गंभीर होने से रोका जा सकता है।
अमेरिका के मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआइटी) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह विश्लेषण किया कि क्या अनुमान से बहुत पहले ही संक्रमण गंभीर होना शुरू हो जाता है या नहीं। शोधकर्ताओं के अनुसार, संभवत: यह दौर उसी समय शुरू हो जाता है, जब कोरोना नाक में प्रवेश करता है। यहीं पर इस वायरस से मुकाबले के लिए प्रारंभिक रिस्पांस होता है। उन्होंने यह निष्कर्ष कोरोना पीड़ितों के नेजल स्वैब के नमूनों में सेल्स (कोशिकाओं) के अध्ययन के आधार पर निकाला है। ये नमूने कोरोना संक्रमण के प्रारंभिक दौर में लिए गए थे। इनमें से कई पीड़ितों में बाद में संक्रमण गंभीर हो गया था।
सेल पत्रिका में प्रकाशित किए गए अध्ययन के मुताबिक, जिन पीड़ितों में कोरोना संक्रमण गंभीर हुआ था, उनकी कोशिकाओं में एंटीवायरल रिस्पांस बहुत अधिक पाया गया। जबकि इनकी तुलना में हल्के संक्रमण वाले पीड़ितों में कम एंटीवायरल रिस्पांस देखने को मिला। हार्वर्ड के शोधकर्ता जोस आर्डोवास-मोंटानेस ने कहा, 'हमारे नतीजों से जाहिर होता है कि शरीर के प्रारंभिक एंटीवायरल रिस्पांस से कोरोना के गंभीर होने के खतरे का अनुमान पहले ही लग सकता है। इससे संक्रमण को गंभीर होने से रोकने का नया रास्ता निकल सकता है।'
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