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लेकिन बांग्लादेश के एक प्राइवेट अस्पताल से जो जानकारी सामने आई वो किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है.
क्या पेट के कीड़े मारने वाली दवा से कोरोना वायरस (Coronavirus) का इलाज किया जा सकता है? क्या ऐसी कोई दवा जानलेवा वायरस के खिलाफ सबसे असरदायक हथियार साबित हो सकती है? एक नई रिसर्च में ऐसी ही बात पता चली है. कैलिफोर्निया स्थित स्क्रिप्स रिसर्च में वॉर्म इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड मेडिसिन के प्रोफेसर किम जांडा और जूनियर प्रोफेसर एली आर. कैलावे ने बताया कि फीता कृमि की दवा में सैलीसाइलैनिलिड्स (Salicylanilides) वर्ग का एक रसायन होता है, जो कोरोना को रोकने में कारगर है.
कैलिफोर्निया स्थित स्क्रिप्स रिसर्च में वॉर्म इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड मेडिसिन के लैब स्टडी की गई, जिसमें ये जानकारी सामने निकल कर आई कि इस दवा से 48 घंटे के भीतर वायरस को खात्म कर देने की क्षमता है.
किम जांडा ने कहा कि पिछले 10-15 सालों से यह बात पुख्ता थी कि सैलीसाइलैनिलिड्स (Salicylanilides) अलग-अलग तरह के वायरसों के खिलाफ सक्रियता से काम करता है. हालांकि यह आंतों से संबंधित और इसका टॉक्सिक असर भी हो सकता है. इसलिए हमने चूहों और कोशिकाओं पर अलग-अलग प्रकार प्रयोगशाला में परीक्षण किए. ताकि अपनी बात को पुख्ता तौर पर पुष्ट कर सके.
इस लैब स्टडी में ये बात भी निकलकर सामने आई कि इस दवा यानी सैलीसाइलैनिलिड्स से कोरोना वायरस का RNA 93 पर्सेंट कमजोर पड़ जाता है. हालांकि इस बात की आधिकारिक पुष्टि इसलिए नहीं हो पाई है क्योंकि इस स्टडी में इंसानों पर आजमा कर दवा के इस असर की पुष्टि करने के लिए नहीं देखा गया है. लेकिन बांग्लादेश के एक प्राइवेट अस्पताल से जो जानकारी सामने आई वो किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है.
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