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इसे प्रैक्टिकल डिवाइस बना सकें, ताकि इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सामान चार्ज करने में हो सके.
अपनी तरह की इस पहली डिवाइस में इंसान सोते-सोते भी बिजली (Human sweat will charge mobile) पैदा कर सकता है और मोबाइल फोन, स्मार्ट वॉच जैसी चीज़ें चार्ज कर सकता है. 10 घंटे तक इस डिवाइस (New Technology) को पहने रखने से इंसान के पसीने से इतनी एनर्जी पैदा होगी (Unique Technology) कि एक स्मार्टवॉच 24 घंटे के लिए चार्ज हो जाए.
रिसर्चर्स (Science Latest Research) का दावा है कि इस डिवाइस को उंगलियों में अटैच किया जा सकता है. ये उंगलियों में होने वाले पसीने (Human sweat will charge mobile) यानि नमी को कैच करके उससे बिजली पैदा करेगा. इंसान की उंगलियों पर पसीने की अच्छी खासी मात्रा होती है. ऐसे में स्मार्ट स्पॉन्ग मटीरियल की मदद से इसे इकट्ठा किया जाएगा और कंडस्टर्स इसे इलेक्ट्रिसिटी में बदल देंगे. शारीरिक मेहनत की भी जरूरत नहीं
रिसर्च (Science Latest Research) अभी शुरुआती दौर में है, ऐसे में ये प्रोटोटाइप डिवाइस (New Technology) फिलहाल सीमित पावर ही जनरेट कर सकती है. अगर लगातार 3 हफ्ते तक हाथों में ये डिवाइस पहनी जाए तो स्मार्टफोन चार्ज करने लायक बिजली पैदा हो जाएगी. हालांकि रिसर्चर्स का कहना है कि इसकी क्षमता जल्दी ही बढ़ाए जाने की कोशिश जारी है. अब तक जितने भी वियरेबल डिवाइस मौजूद हैं, उनमें बिजली जनरेट करने से एक्सरसाइज़ या शारीरिक मेहनत की ज़रूरत पड़ती रही है. लेकिन इस अनोखी डिवाइस में सोते हुए भी पावर जेनरेट हो सकती है. इसके अलावा टाइपिंग, मैसेज टेक्सिंग जैसी गतिविधियों में भी उंगलियों में आने वाले पसीने से बिजली बन सकेगी.
पहनकर सो जाने से भी हो जाएगा काम
रिसर्च टीम में शामिल यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर जोसेफ वॉन्ग कहते हैं कि फिंगर टिप वो जगह है, जहां कुछ न भी करिए तो भी थोड़ा-बहुत पसीना होता ही है. ऐसे में ये इस डिवाइस को पहनने की सबसे परफेक्ट जगह है. इस प्रयोग के तहत एक फिंगर चार्जर को केमिकल सेंसर से एक लो पावर स्क्रीन से कनेक्ट किया गया था. रिसर्च में पाया गया कि महज 2 मिनट में ये इतनी पावर जेनरेट कर रहा था कि स्क्रीन और सेंसर चल सकें. अब वैज्ञानिकों की कोशिश है कि वे इसे प्रैक्टिकल डिवाइस बना सकें, ताकि इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सामान चार्ज करने में हो सके.
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