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Supernova की जानकारी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुपरनोवा (Supernova) कोई खगोलीय पिंड नहीं होता है. बल्कि वह तो एक घटना होती है. यह एक खास तरह का विस्फोट (Explosion) होता है जो किसी तारे के मरने (Death of Star) के समय होता है जिसके बाद तारे के अवशेष (Remnants) धूल, गैस और अन्य पदार्थों के रूप में बिखर जाते हैं. नासा के शोधकर्ता ऐसे ही एक तारे के विस्फोट यानि सुपरनोवा के सटीक समय और स्थान का आंकलन करने का प्रयास कर रहे है जिसे हबल टेलीस्कोप (Hubble Telescope) ने अवलोकित किया था.
कहां हुआ था विस्फोट
नासा के मुताबिक यह तारा बहुत समय पहले स्मॉल मैगेलैनिक क्लाउड में हुआ था जो हमारी मिल्की वे गैलेक्सी की सैटेलाइट गैलेक्सी है. इस विस्फोट के बाद मरते हुए तारे के अवशेष छूट गए थे जिसमें गैसें आदि शामिल है. इस अवशेष को 1E 0102.2-7219 नाम दिया गया है. इसका अवलोकन नासा की आइंस्टीन ऑबजर्वेटरी ने किया था जो उसकी पहली एक्स रे खोज थी.
इन तस्वीरों का अध्ययन
अब नासा के वैज्ञानिक हबल की पुरानी तस्वीरों का अध्ययन कर रहे हैं जिनका खगोलविदों ने हर 10 साल के अंतर पर देखने वाले प्रकाश के जरिए अवलोकन किया था. सुपरनोवा के विस्फोट की सटीक उम्र पता लगाने के लिए इंडियाना के वेस्ट लाफायेट की पुर्ड्यू यूनिवर्सिटी के जॉन बेनोवेट्स और डैनी मिलोसोवोजोविक की अगुआई में शोधकर्ताओं की टीम ने अध्ययन किया
ऑक्सीजन गैस बनी जरिया
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सुपरनोवा विस्फोट से उत्सर्जित हुई ऑक्सीजन समृद्ध गैसों की 45 'ज्वाला' के कुंजों की गतियों का अध्ययन किया. नासा का अनुसार आयनीकृत ऑक्सीजन से काफी कुछ पता चल जाता है क्योंकि वह दिखने वाली रोशनी में सबसे ज्यादा चमकदार होती है.
⏪ Hit rewind ⏪
— Hubble (@NASAHubble) January 14, 2021
Using Hubble, astronomers managed to retrace shrapnel from a supernova blast. Now, they have a more accurate estimate of the location and time of this stellar detonation: https://t.co/CBSCVBOtw1 #AAS237 pic.twitter.com/C6Fl7MQf5R
पहले सटीक जगह का आंकलन
खगोलविदों ने कम से कम 22 तेजी से गतिमान उत्सर्जित गैस कुंज अंतरतारकीय पदार्थों से होकर आते हुए अवलोकित किए. इसके जरिए उन्होंने सुपरनोवा विस्फोट की सटीक उम्र का आंकलन करने का प्रयास किया. उन्होंने इस कुंज के पीछे की गतिविधि का भी अध्ययन किया जब तक कि वह विस्फोट की जगह से मेल नहीं खाने लगी.
किस समय हुआ था विस्फोट
इस विस्फोट का प्रकाश 1700 साल पहले पृथ्वी पर आया था जब रोमान साम्राज्य का अंत हो रहा था. लेकिन यह सुपरनोवा का विस्फोट केवल दक्षिणी गोलार्द्ध के लोगों को दिख सका था. शोध से पता चला था कि ऐसी घटना 2000 से 1000 हजार साल पहले के बीच में हुई थी.
मिलोसोवोजोविक ने बताया कि एक पहले के अध्ययन में हबल के ही वाइड फील्ड प्लैनेटरी कैमरा-2 और एडवांस कैमरा फॉर सर्वे (ACS) से सालों के अंतर से ली गई तस्वीरों का अध्ययन किया गया था. लेकिन उनके अध्ययन में एक ही कैमरा (ACS) से ली गई तस्वीरों की तुलना की गई. जिससे तुलना आसान और नतीजे मजबूत मिलने की संभावना रही.
इतना ही नहीं हबल का उपयोग कर खगोलविदों ने विस्फोट के बाद बने संदिग्ध न्यूट्रॉन तारों गति की गणना भी की. उनके मुताबिक विस्फोट के केंद्र से यह तारा 20 लाख मील प्रति घंटा की गति से चल रहा है. बेनोवेट्ज ने बताया कि यह गति बहुत ही तेज है और सुपरनोवा के विस्फोट के बाद न्यूट्रॉन तारे की सबसे अधिक संभव गति है. वेनोवेट्ज का कहना है कि हाल की पड़तालों से यह सवाल उठा है कि यह पिंड सुपरनोवा विस्फोट में बचा न्यूट्रॉन तारा है भी कि नहीं.
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