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शोधकर्ताओं ने बनाया 17 हजार गैलेक्सी के स्थानीय ब्रह्मण्ड का नक्शा

Gulabi
30 May 2021 4:24 PM GMT
शोधकर्ताओं ने बनाया 17 हजार गैलेक्सी के स्थानीय ब्रह्मण्ड का नक्शा
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स्थानीय ब्रह्मण्ड का नक्शा

डार्कमैटर (Dark Matter) के बारे में कहा जाता है कि ब्रह्माण्ड के पदार्थ का 85 प्रतिशत यही है. इसे डार्क मैटर इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका अवलोकन प्रकाशीय और अन्य तरंगों से नहीं किया जा सकता है. कई अप्रत्यक्ष माध्यमों इसकी मौजूदगी की व्याख्या की गई है और इसका दिखाई देने वाले पदार्थ पर केवल गुरुत्व का प्रभाव होता है. आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपोयग कर ताजा शोध ने ब्रह्माण्ड के डार्कमैटर का नक्शा (Dark Matter Map of Universe) बनाने का प्रयास किया है जो गैलेक्सी के बीच के स्थान में सेतु की तरह काम कर रहा है, ऐसा पता लगा है.


बहुत मुश्किल है नक्शा बनाना

इस नक्शे को बनाते समय शोधकर्ताओं ने स्थानीय ब्रह्माण्ड पर ध्यान केंद्रित किया जिसमें हमारी गैलेक्सी के आसपास का ज्यादा इलाका था. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और पिनसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में खगोलविभौतिकविद डोंगहुई जेओंग ने बताया कि पास होने के बाद भी स्थानीय ब्रह्माण्ड का नक्शा बनाना बहुत मुक्शिल है क्यों कि यह दिखाई देने वाली जटिल संरचनाओं से भरा पड़ा है.

अलग तरह से अध्ययनयह अध्ययन हाल ही में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है. जेओंग ने लाइव साइंस को बताया कि उनकी टीम को डार्कमैटर के बारे में जानने के लिए विभिन्न गैलेक्सी को देखने के लिए रिवर्स इंजिनियरिंग का उपयोग करना पड़ा और उन्होंने एक पूरी तरह से नई पद्धति की उपयोग किया जिससे नई जानकारी मिली.
डार्क मैटर क्या है- अगल-अलग विचार

कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बहुत की कमजोर अंरक्रिया करने वाले कण होते हैं जिन्हें उन्होंने वीकली इंटरएक्टिंग मासिव पार्टिकल (WIMP) कहा. ये अवपरमाणुक कणों के लिहाज से बहुत बड़े कण होंगे लेकिन विद्युतचुंबकीय लिहाज से ये तटस्थ होंगे. इसी वजह से ये प्रकाश जैसे विद्युतचुंबकीय स्पैक्ट्रम से अनुक्रिया नहीं कर पाते हैं. एक अन्य ठोस विचार के मुताबिक डार्कमैटर बहुत ही ज्यादा हलके कण एक्सियोन से बना है.

अभी तक इस पद्धति से बनता है नक्शा

डार्क मैटर जो भी है उसके प्रभावों को ब्रह्मण्ड में गुरुतव बल के असर के जरिए पहचाना जा सकता हैं. इस दिखाई ना देने वाले बल का नक्शा बनाना आसान नहीं था. आमतौर पर शोधकर्ता विशाल संख्या में कम्प्यूटर सिम्यूलेशन चलाते हैं जिसमें शुरुआती ब्रह्माण्ड के एक मॉडल से शुरुआत होता है और आगे के अरबों सालों के विस्तार और दिखने वाले पदार्थ के विकास के आधार पर आज की स्थितियों में उसकी गणना की जाती है. इस दौरान गुरुत्वाकर्षण खाली स्थान कों भर कर यह पता लगाया जाता है कि डार्क मैटर आज कहां-कहां होना चाहिए.
शोधकर्ताओं का नया तरीका

नए अध्ययन ने अलग तरीका अपनाया. उनहोंने मशीन लर्निंग प्रोग्राम को स्थानीय ब्रह्माण्ड में दिखने वाले पदार्थ और डार्कमैटर के हजारों कम्प्यूटर सिम्यूलेशन्स से प्रशिक्षित किया. ये प्रोग्राम विशाल आंकड़ों के संग्रह से खास तरह के पैटर्न का चयन करता है. इसे मॉडल इलस्ट्रिस टीएनजी नाम के विशेष सिम्यूलेशन से आया था. इसके बाद वैज्ञानिकों ने वास्तविक दुनिया पर आपने आंकड़ों को लागू किया.

मिल्की वे और उसके आसपास की 17 हजार गैलेक्सी का उपयोग किया जिसके बाद उन्हें स्थानीय ब्रह्माण्ड के डार्कमैटर का नक्शा मिला जिससे उन्हें डार्क मैटर और दिखने वाले पदार्थ के बीच संबंध की भी जानकारी मिली. ये नतीजे उम्मीद से ज्यादा हट कर नहीं थे, लेकिन उन्हें इसके साथ डार्क मैटर के लंबे फिलामेंट की जानकारी भी मिली जो विभिन्न गैलेक्सी को आपस में जोड़ने का काम करते हैं. इससे भविष्य में गैलेक्सी के बीच होने वाली अंतरक्रियाओं की जानकारी भी मिल सकती है.


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