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शोधकर्ताओं का दावा! एंटीबायोटिक दवाओं से हो सकेगा अपेंडिसाइटिस का इलाज

Neha Dani
2 Nov 2021 10:05 AM GMT
शोधकर्ताओं का दावा! एंटीबायोटिक दवाओं से हो सकेगा अपेंडिसाइटिस का इलाज
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लेकिन 90 दिन बीतने के बाद भी अपेंडिकोलिथ के रोगियों को अपेंडेक्टामी का ज्यादा जोखिम नहीं था।

मानव में अपेंडिक्स एक अवशेषी अंग (वेस्टिजियल आर्गन) है। इस अंग का कोई खास काम नहीं है, लेकिन जब कभी उसमें तकलीफ हो जाए तो उसे सर्जरी के जरिये निकालने की जरूरत पड़ती है। लेकिन अब शोधकर्ताओं ने इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स भी विकसित करने का दावा किया है, जो वैकल्पिक इलाज हो सकता है। मतलब, इस दवा से अपेंडेक्टामी (सर्जरी के जरिये अपेंडिक्स को निकाला जाना) का जोखिम कम किया जा सकता है।

इस एंटीबायोटिक दवा और अपेंडेक्टामी के क्लिनिकल ट्रायल से निकले तुलनात्मक निष्कर्ष के आधार पर अमेरिकन कालेज आफ सर्जन ने अपेंडिसाइटिस के इलाज के लिए जारी दिशानिर्देश में एंटीबायोटिक्स को प्रारंभिक इलाज के रूप में स्वीकार कर लिया है। इस संबंध में किया गया अध्ययन न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है।
यूनिवर्सिटी आफ वाशिंगटन के स्कूल आफ मेडिसिन में एसोसिएट चेयर आफ सर्जरी और शोधकर्ता प्रोफेसर डाक्टर डेविड फ्लूम ने बताया कि तीन महीने तक एंटीबायोटिक्स दिए जाने के बाद प्रति 10 में से सात रोगियों को अपेंडेक्टामी की जरूरत कम हो गई। अगले चार साल में सिर्फ 50 प्रतिशत को सर्जरी करानी पड़ी। उन्होंने बताया कि अध्ययन में यह बात सामने आई कि अपेंडिसाइटिस के रोगियों के लिए एंटीबायोटिक्स दिया जाना सही इलाज है। लेकिन यह सभी रोगियों के लिए हो, यह जरूरी नहीं है।
अध्ययन का स्वरूप : अपेंडिसाइटिस के मामले में यह अब तक का सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल था। इसमें अमेरिका के 14 राज्यों में 25 अस्पतालों के 1,552 अपेंडिसाइटिस रोगियों को शामिल किया गया। इन्हें या तो एंटीबायोटिक्स दी गई या उनकी सर्जरी की गई।
क्या रहा परिणाम : डाक्टर फ्लूम ने बताया कि दोनों प्रकार के इलाज सुरक्षित हैं। यह काफी कुछ रोगियों के लक्षण और स्थितियों पर भी निर्भर रहा। अपेंडिकोलिथ से पीड़ित रोगियों को ज्यादा परेशानी होती है और उन्हें 30 दिनों के भीतर अपेंडिक्स निकालने की जरूरत होती है। अपेंडसाइटिस के रोगियों में 25 प्रतिशत में कैल्शियम का जमाव हो जाता है, जिसे अपेंडिकोलिथ कहते हैं। लेकिन 90 दिन बीतने के बाद भी अपेंडिकोलिथ के रोगियों को अपेंडेक्टामी का ज्यादा जोखिम नहीं था।

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