जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अमेरिकी जन नीति शोधकर्ता माइकल रुबिन ने दावा किया है कि चीन पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ बतौर हथियार कर रहा है। जबकि पाकिस्तान चीन को अपनी आतंकवादी गतिविधियों को लेकर वैश्विक ढाल के रूप में देखता है।
वाशिंगटन इक्जामिनर में अपने एक लेख में रुबिन ने कहा, बीजिंग आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। वह इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहा है। एफएटीएफ पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद पर अंकुश लगाने में विफल रहने के लिए बड़ी कार्रवाई तय करने वाला है। इसमें तय होगा कि पाकिस्तान काली सूची में जाएगा या फिर ग्रे लिस्ट में ही रहेगा।
वहीं पिछले महीने चीनी राजदूत याओ जिंग और पाकिस्तान के विशेष वित्त सलाहकार अब्दुल हफीज शेख के बीच हुई बैठक में एफएटीएफ के मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई। इस दौरान दोनों ने सिर्फ 60 खरब डॉलर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर ही बातचीत की।
इससे स्पष्ट है कि चीन का आतंकवाद पर अंकुश लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं है, न ही व इसके लिए प्रतिबद्ध है। जबकि वह सिर्फ पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए भारत के खिलाफ कर रहा है।