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शोध: स्तनपायी प्रजातियों में आपस में ही रहती थी प्रतिस्पर्धा

Gulabi
24 May 2021 7:59 AM GMT
शोध: स्तनपायी प्रजातियों में आपस में ही रहती थी प्रतिस्पर्धा
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डायनासोर से नहीं थी स्पर्धा

जीवाश्म विज्ञान एक बहुत ही जटिल विषय है. एक जीवाश्म (Fossils) के जरिए हमारे वैज्ञानिक लाखों करोड़ों साल पुराने जीव और उसकी आदतों तक की जानकारियां निकाल लेते हैं. ऐसी एक अनोखी और रोचक जानकारी एक बार फिर वैज्ञानिकों ने निकाली है जिसके मुताबिक क्रिटेशियस काल स्तनपायी जीवों (Mammals) की डायनासोर (Dinosaurs) से प्रतिस्पर्धा नहीं थी. बल्कि यह उनकी आपस में ही प्रतिस्पर्धा थी जो डायनासोर के विनाश के बाद भी जारी रही थी.

डायनासोर से नहीं थी स्पर्धा

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम फॉर करंट बायोलॉजी के शोधकर्ताओं के नए अध्ययन में स्तनपायी जीवाश्मों की विविधता का नई पद्धतियों से विश्लेषण से चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं. इससे खुलासा हुआ है कि स्तनपायी जीवों की एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा थी, जो डायनासोर के खत्म होने के बाद भी चलती रही थी.
कैसे विकसित हुए स्तनपायी जीव
वैज्ञानिक हमेशा से ही यह जानने का प्रयास करते रहे हैं स्तनपायी जीव इतने विस्तृत कैसे हो गए और उन्होंने नए भोजन, जगहों और जीने के तरीकों की तलाश क्यों की. ऐसा खास तौर पर गैर- पक्षी डायनासोर के खात्मे के बाद हुआ. इस अध्ययन के नतीजे स्तनपायी जीवों को लेकर इन सवालों से संबंधित पुरानी धारणा को चुनौती दे रहे हैं. इस धारणा के मुताबिक ऐसा डायनासोर की वजह से हुई थी.
प्रतिस्पर्धा की जटिल कहानी
इस सवालों के जवाब अलग अलग स्तनपायी जीवों के समूहों में प्रतिस्पर्धा की एक बहुत जटिल कहानी कह रहे हैं. नया शोध इस बात को भी रेखांकित करता है कि जीवन के उद्भव के बारे में पुरानी और स्थापित धारणाओं को नए सांख्यकीय उपकरणों की कसौटी पर कसने की जरूरत है
अलग तरह के स्तनपायी जीव
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री की शोधकर्ता और इस अध्ययन की सहलेखिका डॉ एल्सा पैनसिरोली ने बताया कि डायनासोर के युग में कई रोचक किस्म के स्तनपायी जीव हुआ करते थे. इनमें हवा में उड़ने वाले, पानी में तैरने वाले, बिल में रहने वाले सभी तरह के जीव शामिल थे. लेकिन ये सभी आधुनिक स्तनपायी जीवों के समूह के नहीं थे. ये सभी पुराने स्तनपायी जीवों के वंशवृक्ष से निकले थे.
नई जीवनशैली की तलाश
डॉ पैनसिरोली ने बताया कि ये दूसरे प्रकार के स्तनपायी जीवों में से अधिकतर उसी समय विलुप्त हो गए थे जब बिना उड़ने वाले डायनासोर खत्म हो गए थे. इसी समय पर आधुनिक स्तनपायी जानवरों ने नए तरह के भोजन और जीने के नए तरीकों की खोज शुरू कर दी थी. उनके शोध से लगता है कि विलुप्त होने से पहले ही पुराने स्तनपायी जीवों ने आधुनिक स्तनपायी जीवों को पारिस्थितिकी भूमिकाओं से प्रतिस्पर्धा के जरिए बाहर रखा हुआ था.
हर तरफ फैलने लगे थे ये
आज दुनिया में पाई जाने वाली अधिकतर स्तनपायी प्रजातियां का उत्पत्ति उन समूहों में से हुई थी जो 6.6 करोड़ साल पहले हुए उस महाविनाश के बाद के फैल गए जिसमें गैर पक्षी डायनासोर पूरी तरह से खत्म हो गए थे. अभी तक यही धारणा थी कि महाविनाश से पहले स्तनपायी जीव डायनासोर से बचकर रहा करते थे. उन्हें उन इलाकों पर कब्जा करने को नहीं मिला जो पहले से ही विशाल सरीसृपों की अधिपत्य में थे.
इसका नतीजा यह रहा कि स्तनपायी जीव छोटे रहे और खुराक और जीवनचर्चा के मामले में वे सामान्य से ही रहे. ऐसा लग रहा था कि वे तभी पनप सके जब डायनासोर वहां से गायब हुए. नए सांख्यकीय पद्धतियां से पता चलता है कि बहुत से स्तनपायी जानवरों के समूह महाविनाश के बाद भी अपने विकास काल में ही थे. शोध में पाया गया कि आधुनिक स्तनपायी जीवों को विकास डायनासोर युग में नहीं हुआ लेकिन अन्य स्तनपायी जीवों को विकास बराबर होता रहा.
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