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शोध: बीमारी की पहचान होगी आसान, वैज्ञानिकों ने खोजा सिजोफ्रेनिया की गंभीरता से जुड़ा जीन वेरिएंट

Gulabi Jagat
12 April 2022 9:06 AM GMT
शोध: बीमारी की पहचान होगी आसान, वैज्ञानिकों ने खोजा सिजोफ्रेनिया की गंभीरता से जुड़ा जीन वेरिएंट
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बीमारी की पहचान होगी आसान
सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक गंभीर मानसिक बीमारी है. ये बीमारी ज्यादातर बचपन में या फिर किशोरावस्था में होती है. सिजोफ्रेनिया के मरीज को ज्यादातर भ्रम और डरावने साए दिखने की शिकायत होती है. शोधकर्ताओं ने सिजोफ्रेनिया की गंभीरता से जुड़े जीन वेरिएंट (Gene Variant) का पता लगाया है. इस स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि जो लोग इस बीमारी के अति गंभीर रूप का सामना कर रहे हैं, उनमें अपेक्षाकृत अधिक संख्या में दुर्लभ म्यूटेशन (Mutation) हुए हैं. इस स्टडी का निष्कर्ष पीएनएएस (PNAS) नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जो सिजोफ्रेनिया की अनुवांशिकी (genetics) पर नया प्रकाश डालता है और बीमारी के खतरों की पहचान और इलाज के नए तरीके खोजने में मदद करेगा. बता दें कि इस बीमारी में रोगी के विचार, इमोशन, व्यवहार में असामान्य बदलाव आते हैं, जिनके कारण वह कुछ समय के लिए अपनी जिम्मेदारियों और अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है.
सिजोफ्रेनिया एक ऐसी बीमारी है, जो ब्रेन के कार्यों को बाधित करती है. यह मतिभ्रम और मेमोरी से जुड़ी अन्य परेशानियां पैदा करती है. इसके अनुवांशिक होने का खतरा 60-80 प्रतिशत है.
क्या कहते हैं जानकार
अमेरिका के बायलर कालेज आफ मेडिसिन (Baylor College of Medicine) में मनोचिकित्सा एवं व्यवहार विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी के प्रमुख राइटर एंथनी डब्ल्यू. जोघबी (Anthony Zoghbi) के अनुसार, 'रिसर्च के परिणाम न्यूरोसाइकिएटिक विकारों (Neuropsychiatric disorders) के जेनेटिक रिस्क की पहचान के लिए प्रभावी रणनीति को रेखांकित करते हैं. हमें उम्मीद है कि ये नतीजे प्रभावी इलाज की खोज में मददगार साबित होंगे.'
कैसे हुई स्टडी
इस स्टडी के लिए वैज्ञानिकों ने सिजोफ्रेनिया के 112 गंभीर मरीजों व बीमारी के हल्के प्रभाव वाले 218 लोगों को शामिल किया और उनके परिणामों की तुलना करीब 5,000 वैसे लोगों से की गई, जिनमें यह बीमारी नियंत्रित थी. इस दौरान उन्होंने पाया कि सिजोफ्रेनिया के गंभीर मरीजों के जीन में अपेक्षाकृत काफी अधिक घातक म्यूटेशन हुए हैं. गंभीर मरीजों में 48 प्रतिशत ऐसे थे, जिनके कम से कम एक जीन में दुर्लभ व घातक म्यूटेशन हुआ था.
जिंदगी से निराश हो जाता है मरीज
सिजोफ्रेनिया का मरीज बहुत आसानी से जिंदगी से निराश हो सकता है. कई बार तो मरीज को आत्महत्या करने की भी प्रबल इच्छा होती है. यह बीमारी परिवार के करीबी सदस्यों में अनुवांशिक रूप से जा सकती है, इसलिए मरीज के बच्चों या भाई-बहन में इस रोग के होने की संभावना अधिक होती है. अत्यधिक तनाव, सामाजिक दबाव और परेशानियां भी बीमारी को बनाए रखने या ठीक न होने देने का कारण बन सकती हैं. ब्रेन में केमिकल चेंजेज या कभी-कभी ब्रेन की कोई चोट भी इस बीमारी की वजह बन सकती है.
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