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शोध: आनुवांशिकता और वायु प्रदूषण मिलकर स्वस्थ लोगों में अवसाद के खतरे को बढ़ा देते है

Neha Dani
9 Nov 2021 10:00 AM GMT
शोध: आनुवांशिकता और वायु प्रदूषण मिलकर स्वस्थ लोगों में अवसाद के खतरे को बढ़ा देते है
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शोधकर्ताओं के अनुसार कमोबेश सभी लोगों में अवसाद होने की आशंका होती है, लेकिन कुछ लोगों में उनकी आनुवांशिकता के कारण इसका खतरा अत्यधिक रहता है।

अपनी तरह के पहले शोध में बताया गया है कि आनुवांशिकता और वायु प्रदूषण मिलकर स्वस्थ लोगों में अवसाद (डिप्रेशन) के खतरे को बढ़ा देते हैं। वायु में घुले अत्यधिक प्रदूषित कण जब सांस के जरिये उन स्वस्थ लोगों के शरीर में प्रवेश करते हैं जिनमें अवसाद के जींस मौजूद हैं, उन्हें यह बीमारी हो सकती है।

जरनल पीएनएएस में सोमवार को प्रकाशित रिसर्च में वायु प्रदूषण, न्यूरो इमेजिंग, ब्रेन जीन एक्सप्रेशन और अन्य अतिरिक्त वैज्ञानिक आंकड़ों की मदद से 40 से अधिक देशों के लोगों का अंतरराष्ट्रीय आनुवांशिक संग्रहालय बनाया गया है।
अमेरिका में लेबर इंस्टीट्यूट फार ब्रेन डेवलेपमेंट (एलआइबीडी) के हाओ यांग ने बताया कि इस शोध का अहम संदेश यह है कि वायु प्रदूषण दिमाग की भावनात्मक और पहचान संबंधी क्षमता को प्रभावित करके बदल रहा है। यह बदलाव लोगों को अवसाद की ओर ढकेल रहा है। चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता टैन ने बताया कि अत्यधिक प्रदूषण वाले इलाकों में अधिकाधिक लोग अवसाद के शिकार हो रहे हैं। पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ने से लोगों का व्यवहार बदलने लगता है। शोधकर्ताओं के अनुसार कमोबेश सभी लोगों में अवसाद होने की आशंका होती है, लेकिन कुछ लोगों में उनकी आनुवांशिकता के कारण इसका खतरा अत्यधिक रहता है।
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