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शोध: कोरोना से ठीक होने वालों के लिए जरूरी है कोरोना वैक्‍सीन लेना

Gulabi
16 April 2021 11:35 AM GMT
शोध: कोरोना से ठीक होने वालों के लिए जरूरी है कोरोना वैक्‍सीन लेना
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यदि आप कोरोना वैक्‍सीन को सिर्फ इसलिए नहीं लगवाना चाहते हैं कि

यदि आप कोरोना वैक्‍सीन को सिर्फ इसलिए नहीं लगवाना चाहते हैं कि आप इस बीमारी से एक बार ठीक हो चुके हैं तो, इस पर दोबारा विचार जरूर करें। एक नई रिसर्च के अनुसार ऐसे लोग जिन्‍हें पहले कोविड-19 हो चुका है वो न सिर्फ दोबारा इससे संक्रमित हो सकते हैं बल्कि दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं। पहले शरीर में बन चुकी एंटीबॉडीज की मौजूदगी को दोबारा बढ़ाने की जरूरत के मद्देनजर और ट्रांसमिशन को कम करने के अलावा इम्‍यूनि सिस्‍टम को मजबूत करने के लिए भी वैक्‍सीन लेना बेहद जरूरी है। इसलिए जब संभव हो वैक्‍सीन को लेना चाहिए। लांसेट रेसिपिरेटरी मेडिसिन की जर्नल में ये रिसर्च प्रकाशित हुई है।

अमेरिका के माउंट सिनाई स्थित इकान स्‍कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर स्‍टुआर्ट सीलफोन का कहना है कि शरीर में पहले हुआ संक्रमण इम्‍यूनिटी की गारंटी नहीं है। इसलिए कोविड-19 से संक्रमित को वैक्‍सीन से मिलने वाले एडिशन प्रोटेक्‍शन या यूं कहें दोहरी सुरक्षा की जरूरत होगी। ताजा शोध अमेरिकी मरीन कॉर्प के शारीरिक रूप से फिट 2436 मरींस पर किया गया है। इनमें से 189 सीरोपॉजीटिव थे, जिसका अर्थ है कि उन्‍हें पहले संक्रमण हुआ था और उनमें एंटीबॉडीज थीं। इसके 2247 सीरानेगेटिव थे।
इनमें से 1098 मतलब करीब 45 फीसद केा मई से नवंबर 2020 के बीच कोरोना से संक्रमित पाए गए जबकि करीब 19 सीरोपॉजीटिव और 1079 सीरोनेगेटिव शोध के दौरान कोविड संक्रमित पाए गए। इससे वैज्ञानिकों को ये पता चला कि सीरोपॉजीटिव ग्रुप जो कोरोना की चपेट में दोबारा आए थे उनमें SARS-CoV-2 वायरस से प्रतिरक्षा के लिए एंटीबॉडीज का लेवल दोबारा संक्रमित न होने वाले मरींस से काफी कम था। शोध के दौरान पता लगा कि दोबारा संक्रमित होने वाले 54 में 45 लोगों में न्‍यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज कम था जो दूसरों को संक्रमित कर सकता था।
आपको बता दें कि दिसंबर 2019 से चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है। अधिकतर देशों में इसके शुरुआत मामले जनवरी के अंत और पिछले वर्ष फरवरी के शुरुआत में सामने आए थे। मौजूदा समय में पूरी दुनिया के कोरोना संक्रमण के कुल 139,110,413 मरीज हैं जबकि पूरी दुनिया में इसकी चपेट में आकर 139,110,413 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
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