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शोध में आया सामने: नए आरएनए से इलाज दे सकता है कोरोना को मात
Rounak Dey
12 Nov 2021 11:04 AM GMT
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यह टीका एक निष्क्रिय SARS-CoV-2 एंटीजन से तैयार किया गया है।
'एसएलआर14' नामक आरएनए से बना साधारण सा एक अणु प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली का कामकाज शुरू करता है। यही एक अणु सबसे पहले कोविड-19 के संक्रमण के खिलाफ अपना संघर्ष शुरू करता है। येल स्कूल आफ मेडिसिन के विज्ञानियों ने चूहों पर किए एक शोध में पाया कि इस अणु 'एसएलआर14' कोविड-19 के घातक वायरस को मारा जा सकता है। आरएनए से बने इस अणु को बनाना बेहद सरल है। इस एक अणु से विभिन्न प्रोटीनों के समूह के साथ प्रचुर मात्रा में इंटरफेरोन्स का निर्माण होता है।
विभिन्न शोधों में पता चला है कि कोविड-19 के जिन मरीजों में अत्यधिक इंटरफेरोन्स बनते हैं, उन्हें ठीक होने में अधिक समय नहीं लगता है। शुरुआती संक्रमण में उन पर तेजी से असर होता है। येल में जीवविज्ञान के प्रोफेसर वाल्डमार वोन जेटविट्ज और अकीको वसाकी ने कहा कि आरएनए की इस नई श्रेणी को कोरोना रोधी वायरल ड्रग में शामिल करके कोविड-19 का इलाज किया जा सकता है। नए शोध के मुताबिक 'एसएलआर14' को संक्रमित मरीज की प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय किया जा सकता है। शोध के दौरान इस दवा की सिर्फ एक डोज से ही चूहों की रक्षा की जा सकी थी। इस डोज में कुछ और बदलाव करके इसे अत्यधिक तेज संक्रमण के लिए भी और प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
बता दें कि 95 से अधिक देशों ने अब तक कोवैक्सिन और कोविशील्ड को मान्यता दी है। कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, स्पेन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, रूस और स्विटजरलैंड उन 96 देशों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत निर्मित दोनों टीकों को मंजूरी दी है। इस महीने की शुरुआत में डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सिन के आपातकालीन उपयोग की सूची को मंजूरी दी थी और कहा कि भारत बायोटेक के टीके को दूसरी खुराक के 14 या अधिक दिनों के बाद कोरोना के कारण किसी भी गंभीरता के खिलाफ 78 फीसद प्रभावकारी पाया गया।
स्वदेशी वैक्सीन- कोवैक्सिन को हैदराबाद में जीनोम वैली में स्थित भारत बायोटेक के बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) उच्च नियंत्रण सुविधा में विकसित और निर्मित किया गया है। यह टीका एक निष्क्रिय SARS-CoV-2 एंटीजन से तैयार किया गया है।
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