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अमेरिका की रुचि कम
इस्लामाबाद, एजेंसियां। पाकिस्तान में श्रमिकों, मानवाधिकार व धार्मिक स्वतंत्रता की खराब स्थिति तथा सरकार की लचर कार्यप्रणाली अमेरिका के साथ व्यापार में बाधा पैदा कर सकती है। जियोपालिटिका की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका विभिन्न देशों से कारोबार के लिए वरीयता की सामान्य प्रणाली (जीएसपी) के दायरे को विस्तृत करने की योजना बना रहा है। जीएसपी के तहत चुनिंदा देशों को अमेरिका में करमुक्त व्यापार की अनुमति दी जाती है। पाकिस्तान समेत कई एशियाई देश इसका फायदा उठाना चाहते हैं। लेकिन, पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक व आर्थिक हालात अमेरिका से नजदीकी बढ़ाने में अड़चनें पैदा कर सकते हैं। कई स्थानीय व अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने इस्लामाबाद को लेकर निराशाजनक रिपोर्ट पेश की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान में श्रमिकों, बच्चों व महिलाओं की स्थिति खराब है तथा मानवाधिकार हनन के मामलों में भी काफी वृद्धि हुई है। इन स्थितियों के बीच अमेरिका की पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ाने की रुचि कम दिखाई देती है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान पर यूरोपीय संघ की जीएसपी प्लस योजना से बाहर होने का भी खतरा मंडरा रहा है। यूरोपीय संघ इस श्रेणी में आने वाले देशों को मुक्त व्यापार की सुविधा देता है।
अंतरराष्ट्रीय कर्ज, उच्च घरेलू मुद्रास्फीति और घटते विदेशी भंडार ने बढ़ाई पाकिस्तान की मुश्किलें
यूरोपीय संघ नई योजना में छह नए सम्मेलनों को शामिल करने वाला है, जिनका पालन करना और लागू करना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो सकता है। पाकिस्तान के नियमित व्यापार और निवेश प्रस्तावों पर अमेरिका की प्रतिक्रिया भी उत्साहजनक नहीं है। पाकिस्तान के राजदूत मसूद खान ने जून 2022 में संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधियों (USTR) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ GSP और अन्य व्यापार मुद्दों पर पाकिस्तान के मामले को आगे बढ़ाने के लिए एक अनौपचारिक चर्चा की थी। इसके बावजूद, अमेरिकी पक्ष इस तरह के प्रस्तावों से अपनी अपेक्षाओं पर काफी दृढ़ और विशेष था। इसमें ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट फ्रेमवर्क (टीआईएफए) परिषद की लंबे समय से लंबित बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव भी शामिल है। यूएसटीआर अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से गुड रेगुलेटरी प्रैक्टिसेज (जीआरपी) पर एक वर्चुअल सेमिनार आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि बढ़ते अंतरराष्ट्रीय कर्ज, उच्च घरेलू मुद्रास्फीति और घटते विदेशी भंडार की चुनौतियों से घिरे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अपने आर्थिक विकास के लिए एक बड़े धक्का की आवश्यकता है। इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि इस सप्ताह के शुरू में स्टाफ-स्तरीय समझौते पर पहुंचने के बाद, पाकिस्तान को आने वाले तीन से छह सप्ताह में 1.7 बिलियन अमरीकी डालर प्राप्त होंगे। विश्व बैंक ने देश की घटती अर्थव्यवस्था के बीच पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए 200 मिलियन अमरीकी डालर की मंजूरी दी है।

Gulabi Jagat
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