![रिपोर्ट में खुलासा: हूती विद्रोहियों के भर्ती किए दो हजार बच्चे मारे गए और 10 से 17 वर्ष के बीच था उम्र रिपोर्ट में खुलासा: हूती विद्रोहियों के भर्ती किए दो हजार बच्चे मारे गए और 10 से 17 वर्ष के बीच था उम्र](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/01/31/1481545-4.webp)
यमन में हूती विद्रोहियों द्वारा भर्ती किए गए करीब दो हजार बच्चे जनवरी, 2020 से मई, 2021 के बीच लड़ाई में मारे गए हैं। इसके बावजूद ईरान समर्थित विद्रोही युवाओं को लड़ाई के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये लगातार शिविरों का आयोजन कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की चार सदस्य समिति की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा कि उन्होंने स्कूलों और एक मस्जिद में कुछ ग्रीष्मकालीन शिविरों की जांच की, जहां हूती विद्रोहियों ने अपनी विचारधारा का प्रसार किया है। उन्होंने यमन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के साथ सात साल से चले आ रहे युद्ध में बच्चों की भर्ती के बारे में जानकारी ली।
समिति ने कहा कि उसे हूती विद्रोहियों द्वारा भर्ती किए गए 1,406 बच्चों की सूची मिली, जो 2020 में लड़ाई में मारे जा चुके हैं। इसके अलावा 562 बच्चों की एक और सूची मिली है। जिनकी मौत जनवरी से मई 2021 के बीच हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि उनकी उम्र 10 से 17 साल के बीच थी। उनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या अमरान, धमार, हज्जाह, होदेदा, इब्ब, सादा और सना में मारे गए थे।
सऊदी गठबंधन बलों के हमले में जान गंवाने वाले बंदियों की संख्या 82 हो गई इससे पहले जानकारी सामने आई थी कि यमन में हूती विद्रोहियों द्वारा संचालित जेल पर सऊदी अगुवाई वाले सैन्य गठबंधन की ओर से किए गए हवाई हमले में जान गंवाने वाले बंदियों की संख्या बढ़कर 82 हो गई है और 265 से अधिक घायल हुए।
2014 में शुरू हुआ अरब के सबसे गरीब देश यमन में संघर्ष
अरब दुनिया के सबसे गरीब देश यमन में संघर्ष 2014 में तब शुरू हुआ, जब हूती विद्रोहियों ने राजधानी सना और उत्तरी यमन के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया। इसके बाद सरकार को दक्षिण की ओर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा, फिर सऊदी अरब में निर्वासन के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद अमेरिकी समर्थन प्राप्त सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने महीनों बाद यमन के युद्ध में प्रवेश किया। इसमें अब तक हजारों नागरिक और लड़ाके मारे जा चुके हैं। इस युद्ध ने दुनिया का सबसे दयनीय मानवीय संकट पैदा किया है। यमन में लाखों लोग भोजन और चिकित्सकीय देखभाल की समस्या से जूझ रहे हैं। युद्ध ने इस देश को अकाल की कगार पर पहुंचा दिया है।