विश्व
रिपोर्ट: पत्रकारिता के लिए चीन दुनिया की सबसे बड़ी जेल, कैद में बंद हैं 127 पत्रकार
Renuka Sahu
10 Dec 2021 5:49 AM GMT
x
फाइल फोटो
अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने अपनी एक रिपोर्ट में चीन को सबसे ज्यादा पत्रकारोंको कैद में रखने वाला देश बताया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (RSF) ने अपनी एक रिपोर्ट में चीन को सबसे ज्यादा पत्रकारों (Journalists) को कैद में रखने वाला देश बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 127 पत्रकारों को चीन ने हिरासत में रखा है. सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा 'संवेदनशील' माने गए मुद्दों की रिपोर्टिंग और पब्लिशिंग करने आरोप में पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक, इन पत्रकारों में पेशेवर और गैर-पेशेवर मीडियाकर्मी भी शामिल हैं.
RSF के अनुसार, इनमें से आधे से ज्यादा मीडियाकर्मी में 71 उइगर पत्रकार (Uyghur Journalists) शामिल हैं. साल 2016 से, "आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई" के नाम पर बीजिंग शासन उइगरों के खिलाफ एक हिंसक अभियान चला रहा है. रिपोर्ट में आरएसएफ के महासचिव क्रिस्टोफ डेलॉयर के हवाले से कहा गया है कि चीन (China) प्रेस की स्वतंत्रता को खोता जा रहा है. पेरिस स्थित आरएसएफ ने कहा कि इस रिपोर्ट से सूचना के अधिकार के खिलाफ शासन के दमन के अभियान की सीमा का पता चलता है.
90 घंटे के प्रशिक्षण से गुजरेंगे पत्रकार
रिपोर्ट में कहा कि "संवेदनशील" विषय की जांच करने या सेंसर की गई जानकारी प्रकाशित करने जैसे कामों के लिए पत्रकारों को हिरासत में रखा जा रहा है, जहां दुर्व्यवहार से उनकी मृत्यु भी हो सकती है. आरएसएफ की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कैसे पत्रकारों को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का मुखपत्र बनने के लिए मजबूर किया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अपने प्रेस कार्ड प्राप्त करने और रिन्यू करने के लिए पत्रकारों को जल्द ही 90 घंटे के वार्षिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ सकता है, जो आंशिक रूप से शी जिनपिंग के विचारों पर केंद्रित होगा.
चीनी पत्रकारों के लिए स्थिति और भी खराब
मध्य चीनी शहर वुहान में कोविड-19 संकट पर रिपोर्टिंग के लिए 2020 में कम से कम दस पत्रकारों और ऑनलाइन कमेंटेटर्स को गिरफ्तार किया गया था. आज तक उनमें से दो- झांग झान और फेंग बिन अभी भी हिरासत में हैं. चीनी पत्रकारों के लिए स्थिति और भी खराब है. रिपोर्ट में अक्टूबर 2019 में पेश किए गए एक फैसले का भी जिक्र किया गया है कि सभी चीनी पत्रकारों को "स्टडी शी, स्ट्रेंथ द कंट्री" नाम की एक स्मार्टफोन ऐप का इस्तेमाल करना चाहिए, जो पर्सनल डेटा के कलेक्शन को इनेबल कर सकता है. आरएसएफ ने 2021 वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में चीन को 180 में से 177वां स्थान दिया है, जो उत्तर कोरिया से सिर्फ दो स्थान ऊपर है.
Next Story