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दूसरे चरण में चीनी कंपनियों की अधिक भागीदारी भी शामिल है। जिसका अर्थ है कि अधिक चीनी नागरिक देश में होंगे और उनके जीवन का जोखिम भी बढ़ जाएगा।
पाकिस्तान में चीनी लोगों पर हमले का मामला सामने आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बलूच अलगाववादियों ने पाकिस्तान में चीनियों पर हमले तेज कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, बलूच अलगाववादी बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के काम को रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि चीन ने उनके संसाधनों को लूटने में पाकिस्तान सुरक्षा बलों के साथ हाथ मिलाया है।
हाल ही में, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने चीनी श्रमिकों के काफिले को उड़ाने का प्रयास किया। लेकिन यह हमला पूरी तरह से विफल रहा। एशिया टाइम्स ने बताया कि पाकिस्तान पुलिस ने सोमवार को एक संदिग्ध महिला को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने महिला को आत्मघाती हमलावर के शक में गिरफ्तार किया है। कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने दावा किया कि वह बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की प्रमुख परियोजना पर काम कर रहे कई चीनी नागरिकों को मारने के लिए खुद को उड़ाने की योजना बना रही थी।
पिछले महीने कराची यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस सेंटर में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की एक महिला आपरेटिव द्वारा किए गए आत्मघाती आपरेशन में तीन चीनी ट्यूटर और उनके ड्राइवर मारे गए थे। इतना ही नहीं जुलाई 2021 में खैबर-पख्तूनख्वा में चीनी कामगारों को ले जा रही एक बस पर हमला हुआ था। जिसमें 10 की मौत हो गई और 28 अन्य घायल हो गए।
इस्लामाबाद स्थित के कार्यकारी निदेशक मंसूर खान महसूद ने कहा बलूच अलगाववादी चीनियों को अपना दुश्मन मानते हैं। उन्हें बलूचिस्तान संसाधनों को लूटने' में पाकिस्तान सुरक्षा बलों के साथ 'अपराध में भागीदार' मानते हैं, जिसे वे रोकना चाहते हैं। स्वतंत्र थिंक टैंक फाटा रिसर्च सेंटर (एफआरसी) ने कहा यही कारण है कि उन्होंने कई बार चीनी कंपनियों को बलूचिस्तान छोड़ने की चेतावनी दी थी। महसूद ने आगे कहा कि अब वे मीडिया का ध्यान खींचने के लिए आत्मघाती हमलों के लिए महिलाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसने बलूच विद्रोहियों के उद्देश्य को पूरा किया, क्योंकि उन्हें बाहरी दुनिया को यह बताने की जरूरत है कि वे अपनी मातृभूमि को 'मुक्त' करने के लिए कितने बेताब हैं।
एशिया टाइम्स के अनुसार, स्थिति को देखते हुए चीनी नेतृत्व उन क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहा है। जहां उनकी कंपनियां बहु-अरब डालर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत रणनीतिक परियोजनाओं में शामिल हैं। वर्तमान में, पाकिस्तानी अधिकारी CPEC के दूसरे चरण से अधिक चिंतित हैं, जो औद्योगिक क्षेत्रों और व्यवसायों को चलाने वाले निजी क्षेत्र के इर्द-गिर्द घूमता है। दूसरे चरण में चीनी कंपनियों की अधिक भागीदारी भी शामिल है। जिसका अर्थ है कि अधिक चीनी नागरिक देश में होंगे और उनके जीवन का जोखिम भी बढ़ जाएगा।
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