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रिपोर्ट: यूएन की 42 करोड़ की आबादी वाले अरब दुनिया में 14 करोड़ लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं

Neha Dani
22 Dec 2021 6:59 AM GMT
रिपोर्ट: यूएन की 42 करोड़ की आबादी वाले अरब दुनिया में 14 करोड़ लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं
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जिसने प्रजनन आयु की 61.5 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित किया है" एए/वीके (एएफपी)

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अरब दुनिया के अधिकांश देशों में एक तिहाई आबादी के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने अरब देशों में भूख की विकट स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है.यूएन की रिपोर्ट के अनुसार 42 करोड़ की आबादी वाले अरब दुनिया में एक तिहाई यानी 14 करोड़ लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है, पिछले साल 6.9 करोड़ लोग कुपोषण से पीड़ित थे. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक 2019 और 2020 के बीच अरब दुनिया में कुपोषित लोगों की संख्या 48 लाख से बढ़कर 6.9 करोड़ हो गई है. एफएओ के अनुसार, पिछले दो दशकों में अरब दुनिया में भूख में 91 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. दूसरी ओर अमीर अरब देशों युवा आबादी में मोटापा बढ़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक अमीर अरब देशों की युवा पीढ़ी में मोटापे की दर वैश्विक औसत 13.1 फीसदी से लगभग दोगुनी हो गई है

कुपोषण में वृद्धि एफएओ का कहना है कि अरब दुनिया में 14.1 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास 2020 में पर्याप्त भोजन नहीं था. 2019 की तुलना में 2020 में पर्याप्त भोजन तक पहुंच के बिना लोगों की संख्या में एक करोड़ की वृद्धि दर्ज हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान भी अरब जगत में गरीबों की हालत बद से बदतर हो गई और इस संक्रामक महामारी ने गरीबी से जूझ रहे लोगों पर गहरी छाप छोड़ी. इस दौरान भी प्रकोप तेज होता दिख रहा है. एफएओ ने कहा, "संघर्ष प्रभावित और गैर-संघर्ष वाले देशों में, सभी आय स्तरों में अल्पपोषण के स्तर में वृद्धि हुई है" एफएओ की रिपोर्ट ने यमन और सोमालिया पर भी ध्यान केंद्रित किया. रिपोर्ट में उन देशों को भूख और गरीबी से गंभीर रूप से प्रभावित के रूप में बताया गया है. युद्ध के परिणामस्वरूप सोमालिया की 60 प्रतिशत आबादी भूख से तड़प रही है, जबकि यमन की 45 प्रतिशत आबादी गरीबी और अत्यधिक भूख में जी रही है. एफएओ का कहना है, "यमन में 2020 में एनीमिया का सबसे अधिक प्रसार था, जिसने प्रजनन आयु की 61.5 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित किया है" एए/वीके (एएफपी)


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