पाकिस्तान के एक केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री इमरान खान को पत्र लिखकर मांग की है कि भारत में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए आठ मार्च को प्रस्तावित 'औरत मार्च' को बैन करने और उसकी जगह 'हिजाब दिवस' मनाने की अपील की है।
पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने प्रधानमंत्री इमरान खान से आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय हिजाब दिवस के रूप में घोषित करने की अपील की है। एक थिंक टैंक, पॉलिसी रिसर्च ग्रुप (पीओआरईजी) ने यह जानकारी दी। यह मांग ऐसे समय में की गई है जब औरत मार्च के आयोजकों ने शुक्रवार को पाकिस्तान में "न्याय की फिर से कल्पना" की थीम पर आधारित 2022 के लिए अपने घोषणापत्र की घोषणा की।
क्या है औरत मार्च?
पाकिस्तान में औरत मार्च पहली बार 2018 में कराची शहर में आयोजित किया गया था। इसके बाद से अब हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन यह आयोजित किया जाता है। इसमें पाकिस्तान में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों को उजागर किया जाता है। हालांकि इमरान खान से मंत्री की अपील महिलाओं को मार्च करने तक की आजादी नहीं दे रहा और उनकी आगे की सोच पर विराम लगा रहा है।
मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन 2018 से अब तक पूरे पाकिस्तान में आयोजित "औरत मार्च" "इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ" है। पीओआरईजी की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान से उनका अनुरोध कुछ और नहीं बल्कि "संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के महत्व को कम करने का एक तरीका है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाना है।
एक बयान में नूरुल हक कादरी ने कहा, "किसी भी संगठन को औरत मार्च या अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के संबंध में आयोजित किसी भी अन्य कार्यक्रम में इस्लामी मूल्यों, समाज के मानदंडों, हिजाब या मुस्लिम महिलाओं की विनम्रता पर सवाल उठाने या उपहास करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इन कृत्यों ने देश में मुसलमानों की भावनाओं को चोट पहुंचाई है।"
डॉन अखबार के अनुसार, मंत्री "संभवतः भारत के कुछ हिस्सों में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।" अखबार ने कहा कि "यह इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जब महिलाओं के अधिकारों के आंदोलन न केवल पाकिस्तान में बल्कि दुनिया भर में लिंग आधारित अपराधों और अन्याय के मद्देनजर गति पकड़ रहे हैं।"