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भारत और खाड़ी के देशों के बीच के रिश्तों की बढ़ी अहमियत, सऊदी और यूएई की यात्रा के लिए तैयारियों में जुटे जयशंकर और सेना प्रमुख

Gulabi
5 Dec 2020 2:19 PM GMT
भारत और खाड़ी के देशों के बीच के रिश्तों की बढ़ी अहमियत, सऊदी और यूएई की यात्रा के लिए तैयारियों में जुटे जयशंकर और सेना प्रमुख
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भारत और खाड़ी के देशों के बीच के रिश्तों का आधार अभी तक पेट्रोलियम उत्पादों और वहां काम करने वाला श्रम शक्ति था

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत और खाड़ी के देशों के बीच के रिश्तों का आधार अभी तक पेट्रोलियम उत्पादों और वहां काम करने वाला श्रम शक्ति था। लेकिन बदलते वैश्विक परिवेश में अब दोनो पक्षों के बीच रणनीतिक रिश्तों का दायरा बढ़ गया है। खास तौर पर चीन के साथ भारत के रिश्ते जिस तरह से तनावपूर्ण हो गया है उसे देखते हुए खाड़ी देशों का रणनीतिक महत्व भारत की सैन्य सुरक्षा के बहुत ही अहम हो गया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर की यूएई और बहरीन की यात्रा के कुछ ही दिनों बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की अगले हफ्ते की यात्रा भारत के लिए खाड़ी क्षेत्रों के बढ़ते महत्व को बताता है। दूसरे अन्य खाड़ी देशों के साथ भी भारत सैन्य सहयोग मजबूत करने पर बात कर रहा है।


जनरल नरवणे की सऊदी अरब यात्रा किसी भारतीय सेना प्रमुख की पहली आधिकारिक यात्रा होगी। इस यात्रा की तैयारियों से जुटे अधिकारियों के मुताबिक पिछले एक दशक से भारत व सऊदी अरब के बीच सैन्य सहयोग को धीरे धीरे मजबूत बनाने को लेकर बातचीत चल रही है। अक्टूबर, 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी की सऊदी यात्रा के दौरान सैन्य रिश्तों को लेकर तीन अहम समझौते हुए थे। इसी दौरान दोनो देशों ने रणनीतिक साझेदारी परिषद के गठन का ऐलान किया था। जनरल नरवणे की यात्रा के दौरान पहली बार दोनो पक्षों के बीच उक्त साझेदारी परिषद से जुड़े मुद्दों पर विमर्श किया जाएगा। सऊदी अरब ने भारत समेत आठ देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी काउंसिल बनाने का फैसला किया है। उक्त अधिकारियों के मुताबिक दोनो देशों के बीच सैन्य सहयोग के लिए कई स्तरों पर बातचीत जारी है।


सितंबर, 2020 में दैनिक जागरण के साथ साक्षात्कार में सऊदी अरब के नई दिल्ली स्थित राजदूत ने बताया था कि, रक्षा क्षेत्र में सहयोग दोनो देशों के भावी रिश्तों में बेहद अहम होगा। सऊदी अरब के बाद नरवणे की यूएई की यात्रा की भी अलग अहमियत है। सिर्फ चार वर्ष पहले ही पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर यूएई की यात्रा पर जाने वाले पहले रक्षा मंत्री बने थे। वर्ष 2018 में दोनो देशों के बीच कंप्रेहेंसिव स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप पर हस्ताक्षर किया जिसमें सैन्य सहयोग के कई आयामों पर सहयोग स्थापित करने का रोडमैप शामिल है। दोनो देशों के बीच आपसी सहयोग से हथियार निर्माण को लेकर भी बातचीत हो रही है।

जानकारों के मुताबिक खाड़ी क्षेत्र में भी समीकरण जिस तेजी से बदल रहा है उसे देखते हुए सऊदी अरब और यूएई अपनी अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने को लेकर कई योजनाओं पर काम कर रहे हैं, इस काम में उन्हें भारत से काफी मदद की आस है। असलियत में पिछले कुछ वर्षो में इन दोनो देशों ने भारत को अहमियत देनी शुरु की है उसके पीछे यह एक बड़ी वजह है। उक्त दोनो देशों की अहमियत भारत के लिए भी काफी ज्यादा है। इन दोनो देशों में तकरीबन 50 लाख भारतीय काम करते हैं जो हर वर्ष अरबों डॉलर की राशि स्वदेश भेजते हैं। इसके अलावा सऊदी अरब भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण देश है। ईरान पर प्रतिबंध के बाद भारत के लिए सऊदी अरब की अहमियत बतौर तेल आपूर्तिकर्ता और बढ़ गई है। ऐसे में सैन्य सहयोग द्विपक्षीय रिश्तों को और प्रगाढ़ करेगा।


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