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कजाकिस्तान में संविधान में बदलाव को लेकर हुआ जनमत संग्रह, नजरबायेव के विशेषाधिकार होंगे खत्म, संसद को मिलेगी ज्यादा शक्तियां

Renuka Sahu
5 Jun 2022 3:58 AM GMT
Referendum on change in constitution in Kazakhstan, Nazarbayevs privileges will end, Parliament will get more powers
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फाइल फोटो 

मध्य एशिया के सबसे धनी देश कजाकिस्तान ने अपने संविधान में बदलाव के लिए रविवार को एक जनमत संग्रह कराया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मध्य एशिया के सबसे धनी देश कजाकिस्तान ने अपने संविधान में बदलाव के लिए रविवार को एक जनमत संग्रह कराया है। तीन दशक से राज कर रहे संस्थापक नेता नूरसुल्तान नजरबायेव के इस्तीफे के बाद संविधान में बदलाव की तैयारी की जा रही है। माना जा रहा है कि इस बदलाव में पूर्व राष्ट्रपति की असीमित शक्तियों पर विराम लग सकता है और संसद को ज्यादा शक्तियां मिलेगी।

दूसरा कार्यकाल पाने की कोशिश
बता दें कि राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट टोकायव ने राष्ट्र को उदार बनाने की दिशा में यह कदम उठाया है, हालांकि यह अभी भी उनके हाथों में बड़ी शक्तियां छोड़ देगा। वहीं इस संग्रह के बाद 69 वर्षीय टोकायव का राजनीतिक कद बढ़ जाएगा। संबद्ध मध्य एशियाई देश में दूसरे कार्यकाल पाने के लिए कसीम टोकायव का यह बड़ा कदम माना जा रहा है।
2019 से सत्ता में हैं, सत्ता में तीन दशकों के बाद नज़रबायेव के अचानक इस्तीफे के बाद, जनवरी में तख्तापलट के प्रयास को विफल करने और नज़रबायेव और उनके रिश्तेदारों को सरकार में प्रमुख पदों से हटाने के बाद टोकायव इस साल पूरी तरह से एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में उभरे हैं।
नजरबायेव के विशेषाधिकार होंगे खत्म, संसद को मिलेगी ज्यादा शक्तियां
इस जनमत संग्रह के बाद देश में निर्णय लेने के विकेंद्रीकरण के अलावा संसद में विभिन्न समूहों के अधिक प्रतिनिधित्व की अनुमति मिल जाएगी। यह सुधार नजरबायेव को उनके "राष्ट्रीय नेता" की स्थिति से भी वंचित कर देगा, जिससे उन्हें आजीवन विशेषाधिकार मिले थे। टोकायव ने प्रस्तावित परिवर्तनों को एक "सुपरप्रेसिडेंशियल" प्रणाली से एक मजबूत संसद के साथ एक राष्ट्रपति गणराज्य के लिए एक कदम के रूप में वर्णित किया है।
हालांकि आलोचकों का कहना है कि सुधार सिर्फ दिखावा है, लेकिन यह राष्ट्रपति की शक्तियों को मजबूत करने की दिशा में दशकों पुरानी प्रवृत्ति से उलट है।
रूस और पश्चिमी देशों के साथ मिलकर चलने की कवायद
टोकायव ने परिवर्तनों में उच्च आय वाले व्यक्तियों पर उच्च करों का आह्वान भी किया है। बता दें कि इस परिवर्तन से घरेलू नीति संबंधी चिंताओं को दूर करने से लेकर बाहरी अशांति से निपटने के लिए टोकायव मुक्त हो जाएंगे। गौरतलब है कि कजाकिस्तान प्रमुख आर्थिक और सुरक्षा साझेदार रूस और पश्चिम के बीच फंसा हुआ है, जिसने अपने विशाल तेल क्षेत्रों और खानों में सैकड़ों अरबों डॉलर का निवेश किया है। कजाकिस्तान अब दोनों पक्षों को नाराज किए बिना यूक्रेनी संकट के माध्यम से एक रास्ता तलाशने की कोशिश कर रहा है।
इसलिए हुआ जनमत संग्रह
बता दें कि हाल ही में कार ईंधन की कीमतों में वृद्धि पर हिंसक विरोध होने से कजाक में 230 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद नूरसुल्तान में इस्तीफा दे दिया था लेकिन उनकी बादशाहत अभी कायम थी। गौरतलब है कि कजाखस्तान पूर्व के सोवियत संघ का हिस्सा रहा है। ये देश ईंधन और गैस के भंडार से भरा हुआ है। लेकिन सरकार द्वारा एलपीजी की कीमतों पर लगी सीमा हटाने के बाद गैर कीमतों में बढ़ोतरी के साथ महंगाई भी बढ़ गई और इससे लोग भड़क गए थे। जिसके बाद नूरसुल्तान को इस्तीफा देना पड़ा और तोकायेव नए राष्ट्रपति बने। लेकिन विश्लेषकों के अनुसार तोकायेव के आने के बावजूद सत्ता पर नजरबायेव की पकड़ बनी हुई थी और विरोध प्रदर्शन दरअसल उन्हीं के खिलाफ था।
नूरसुल्तान की उसी बादशाहत को खत्म करने के लिए तोकायेव द्वारा यह बदलाव लाया गया है। इस कदम से तोकायेव की नजरें अपने दूसरे कार्यकाल पर है, और उनका राजनीतिक कद भी बढ़ सकता है।
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