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विभाजन के बाद पहली बार रावलपिंडी पहुंची पुणे की रीना, पैतृक घर को देखकर झूम उठीं...लेकिन खुशी बांटने वाला कोई नहीं

Neha Dani
25 July 2022 4:17 AM GMT
विभाजन के बाद पहली बार रावलपिंडी पहुंची पुणे की रीना, पैतृक घर को देखकर झूम उठीं...लेकिन खुशी बांटने वाला कोई नहीं
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उन्होंने विशेष रूप से दोनों देशों की युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि वे शांति से रहना सीखें।

भारत-पाकिस्तान विभाजन के 75 साल बाद पहली बार पाकिस्तान के रावलपिंडी में अपने पैतृक आवास पहुंचीं 90 वर्षीय रीना छिब्बर वर्मा ने कहा कि उनका यात्रा अनुभव 'खट्टा-मीठा' रहा। विभाजन के बीच वह और उनका परिवार रावलपिंडी छोड़ भारत आ गया था। पुणे में रहने वाली वर्मा बुधवार को जब रावलपिंडी में अपने घर 'प्रेम नवास' पहुंचीं तो पड़ोसियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके स्वागत में ढोल बजाए गए और फूलों की बरसात की गई। भीड़ ने चारों ओर से उन्हें घेर रखा था, हालांकि भीड़ को देखकर वह भावनाओं के अतिरेक में नहीं बहीं।


वर्मा ने कहा कि रावलपिंडी की अपनी यात्रा के बारे में उनकी भावनाएं मिली-जुली हैं और यह सपने के साकार होने जैसा है। वर्मा ने बीबीसी से कहा, 'मेरा मन दुखी है लेकिन मैं उस पल का अनुभव करने के लिए आभारी हूं जिसका मैं जीवन भर इंतजार कर रही थी। यह खट्टा-मीठा अनुभव रहा है।' उन्होंने कहा, 'मैं इस पल को अपने परिवार के साथ साझा करना चाहता थी, लेकिन वे सब दुनिया से जा चुके हैं। मैं यहां आकर खुश हूं, लेकिन मैं आज भी अकेला महसूस कर रही हूं।'


खुशी बांटने के लिए कोई नहीं
वर्मा ने कहा कि वह और उनके चार भाई-बहन शहर के मॉडर्न स्कूल में पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि उनके आठ सदस्यों वाले परिवार में से कोई भी जीवित नहीं है, जिसके साथ वह अपनी यह खुशी साझा कर सकें। उनके पुराने पड़ोसियों के नाती-पोते अब उस घर में रहते हैं जहां वह और उनका परिवार रहता था। वर्मा का रावलपिंडी से भारत तक का सफर आसान नहीं था। विभाजन के समय 1947 में वर्मा का परिवार रावलपिंडी से निकल चुका था। विभाजन के बाद जब पाकिस्तान बना, तब वह 15 वर्ष की थीं।


सोशल मीडिया पर मिली पैतृक घर की तस्वीर
वर्मा ने अपने बचपन के घर के बारे में सोचना कभी बंद नहीं किया, जिसे उनके पिता ने अपनी गाढ़ी कमाई से बनाया था। उन्होंने 1965 में पाकिस्तानी वीजा के लिए आवेदन किया था, लेकिन वह इसे प्राप्त करने में विफल रहीं क्योंकि युद्ध के कारण दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव अधिक था। बुजुर्ग महिला ने कहा कि उन्होंने पिछले साल सोशल मीडिया के जरिए अपने पैतृक आवास आने की इच्छा प्रकट की थी। पाकिस्तानी नागरिक सज्जाद हैदर ने सोशल मीडिया पर उनसे संपर्क किया और रावलपिंडी में स्थित उनके घर की तस्वीरें उन्हें भेजीं।

पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री ने दिया वीजा
हाल में उन्होंने फिर से पाकिस्तान की वीजा के लिए आवेदन किया, जिसे ठुकरा दिया गया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान आने की इच्छा जताई और पोस्ट पर पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार को टैग किया। इसके बाद खार ने उन्हें पैतृक शहर आने के लिए वीजा की सुविधा प्रदान की। स्थानीय मीडिया में 'पिंडी गर्ल' नाम से चर्चित हुईं वर्मा ने कहा, 'मैं पाकिस्तान, खासकर रावलपिंडी में अपने घर आकर बेहद खुश हूं। मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया गया और यहां के लोगों का अपार प्रेम मिला।'



'पाकिस्तान आना है तो उम्मीद न छोड़ें'
दोबारा पाकिस्तान आने के इरादे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'अगर मुझे एक और मौका मिला, तो मैं निश्चित रूप से वापस आऊंगी।' भारत के लोगों को अपने संदेश में, वर्मा ने कहा, 'मैं भारत के लोगों को बताना चाहती हूं कि जो लोग पाकिस्तान आना चाहते हैं, उन्हें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और पाकिस्तान की यात्रा के लिए अपने प्रयास जारी रखना चाहिए। उन्हें सफलता मिलेगी।'

'एक-दूसरे को देखेंगे तो प्यार करने लगेंगे'
जब उनसे पाकिस्तान और भारत की सरकारों को उनके संदेश के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि लोगों को यात्रा करने व स्वतंत्र रूप से मिलने-जुलने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, 'मैं चाहती हूं कि पाकिस्तान और भारत की सरकारें आगे बढ़ें करें और लोगों को एक-दूसरे से मिलने दें। अगर लोग एक-दूसरे को देखेंगे तो वे एक-दूसरे से प्यार करने लगेंगे।' उन्होंने विशेष रूप से दोनों देशों की युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि वे शांति से रहना सीखें।

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