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वॉशिंगटन की ऐतिहासिक इमारतों पर दिखे आर्कटिक में रहने वाले दुर्लभ बर्फीले उल्लू

Gulabi
12 Jan 2022 5:29 PM GMT
वॉशिंगटन की ऐतिहासिक इमारतों पर दिखे आर्कटिक में रहने वाले दुर्लभ बर्फीले उल्लू
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आर्कटिक में रहने वाले दुर्लभ बर्फीले उल्लू
आर्कटिक में रहने वाले दुर्लभ बर्फीले उल्लू को वॉशिंगटन की ऐतिहासिक इमारतों पर देखा गया. लोगों ने उसकी तस्वीरें लीं. वीडियो बनाए. लेकिन हैरानी की बात ये है कि सर्दियों के मौसम में जब उसे आर्कटिक में होना चाहिए था, तब वह अपने घर से 3300 किलोमीटर दूर एक गर्म इलाके में क्यों आया? इसे वॉशिंगटन में पहली बार 3 जनवरी को देखा गया था. उसके बाद एकाध बार और कुछ जगहों से इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं.
यह दुर्लभ बर्फीला उल्लू (Rare Snowy Owl) वॉशिंगटन के कैपिटॉल हिल के आसपास, यूनियन स्टेशन, नेशनल पोस्टल म्यूजियम, सीनेट बिल्डिंग और कैपटॉल पुलिस हेडक्वार्ट्स की इमारत पर देखा गया. फुटबॉल के आकार के इस खूबसूरत जीव को देखने के लिए हर जगह भीड़ उमड़ी. इसके आने को लेकर वैज्ञानिक परेशान हैं, क्योंकि वजह कुछ भी हो सकती है. क्लाइमेट चेंज की वजह से आर्कटिक के इलाके में लगातार बर्फ पिघल रही है. तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है. इसलिए बर्फीले उल्लुओं (Snowy Owl) को अब दिक्कत आने लगी है. पलायन, बैक्टीरिया, वायरस, शिकार, प्राकृतिक आपदाओं की वजह से ये खत्म हो रहे हैं.
कुछ पक्षी विज्ञानियों का मानना है कि बर्फीला उल्लू वॉशिंगटन के डाउनटाउन में खाने की तलाश में आया होगा. क्योंकि यहां पर चूहों की मात्रा काफी ज्यादा है. दुर्लभ बर्फीले उल्लू आर्कटिक के उस इलाके में रहते हैं जहां पर पेड़ भी बेहद कम पाए जाते हैं. कई उल्लू आर्कटिक से माइग्रेट होकर गर्म इलाकों में आते हैं लेकिन वॉशिंगटन तो आर्कटिक की तुलना में काफी ज्यादा गर्म है. बर्फीले उल्लू सर्दियों में कन्सास, मिसौरी, टेनेसी, नॉर्थ कैरोलिना और मैरीलैंड में भी देखे गए हैं.
पक्षी विज्ञानियों का मानना है कि इस खूबसूरत पक्षी का शहर में आना ठीक नहीं है. क्योंकि इससे उसकी प्रजाति को ही खतरा होगा. यहां पर वह गाड़ियों से टकरा सकता है. करंट लग सकता है. किसी अन्य जानवर का शिकार बन सकता है. या फिर इंसान उसे पकड़ कर पिंजड़े में बंद कर सकते हैं. लेकिन आर्कटिक से वॉशिंगटन सिर्फ खाने खोजने के लिए आना एक बड़ा सवाल पैदा करती है कि क्या आर्कटिक में उल्लुओं के लिए खाना खत्म हो गया है.
बर्फीले उल्लू (Snowy Owl) का वैज्ञानिक नाम बूबो स्कैन्डियाकस (Bubo Scandiacus) है. आमतौर पर ये उल्लू आर्कटिक इलाके में पाए जाते हैं. लेकिन कुछ प्रजातियां उत्तरी अमेरिका के बर्फीले इलाकों में भी दिखाई देते हैं. इन उल्लुओं के शरीर पर सफेद, काले और भूरे रंग का मिश्रण होता है. ये दिन में सोते हैं और रात में शिकार करते हैं. बर्फीले उल्लू की एक खास बात होती है. ये एक जगह पर टिकता नहीं है. यानी स्थाई तौर पर घोंसला नहीं बनाता. साल में एक बार प्रजनन करने के लिए ये पलायन करते हैं. अगर प्रजनन की वजह से पलायन नहीं होता तो शिकार खोजने या फिर खुद शिकार होने से बचने के लिए अलग-अलग ठंडी जगहों पर घूमते रहते हैं.
हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक आर्कटिक क्षेत्र और उत्तरी अमेरिका में कुल मिलाकर इनकी आबादी करीब 30 हजार के आसपास होगी. इन्हें दुर्लभ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि गर्म इलाकों में जल्दी नहीं आते. इसलिए दिखाई नहीं देते. बस ये आर्कटिक सर्किल के आसपास के सर्दी वाले इलाकों में घूमते रहते हैं. बर्फीले उल्लू (Snowy Owl) के बारे में सबसे पहले पक्षीविद कार्ल लीनियस (Carl Linnaeus) ने 1758 में सिस्टेमा नेचुरे के दसवें संस्करण में बताया था. आमतौर पर बर्फीला उल्लू अन्य आर्कटिक जीवों की तुलना में ज्यादा सफेद होता है. ये बर्फ में दिखाई नहीं देते.
बर्फीला उल्लू (Snowy Owl) सभी उल्लूओं की तुलना में आकार में बड़ा होता है. ये काफी ज्यादा वजनी भी होते हैं. एक वयस्क बर्फीला उल्लू 21 से 26 इंच लंबा होता है. इनके पंखों का फैलाव 5 फीट 5 इंच तक जा सकता है. आमतौर पर यह 3.10 फीट तक फैलाव होता है. इनका वजन 1.46 किलोग्राम से 1.80 किलोग्राम तक होता है. बर्फीले उल्लू को पहचानना आसान है. क्योंकि ये एकदम सफेद होता है. इसके ऊपर काले और भूरे रंग के चकत्ते होते हैं. आंखों का रंग पीला होता है. इन उल्लुओं की आवाज काफी तेज होती है. ये कुत्ते की तरह भौंकने वाली आवाज निकालते हैं. ये आम उल्लुओं की तरह आवाज नहीं निकालते.
इनकी आवाज की लयबद्धता से यह तय होता है कि आसपास शिकार है, खतरा है, प्रजनन करने के लिए मादा को बुलाना है या फिर अन्य नर उल्लुओं से वर्चस्व की लड़ाई लड़नी है. इनकी आवाज 11 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है. लेकिन मादा बर्फीले उल्लू (Snowy Owl) की आवाज ज्यादा तेज होती है. बर्फीले उल्लू को जब प्रजनन करना होता है तो ये 1.20 करोड़ वर्ग किलोमीटर तक अपने साथी को खोजने के लिए निकल सकते हैं. सामूहिक तौर पर ये प्रजनन के लिए 3 से 9 साल के अंतर पर एक बार ही निकलते हैं. आमतौर पर गिने-चुने बर्फीले उल्लू प्रजनन के लिए इतनी दूर तक पलायन करते हैं.
बर्फीला उल्लू (Snowy Owl) आमतौर पर सर्दियों में ज्यादा सक्रिय रहता है. क्योंकि बर्फ की वजह से खाना खोजने में काफी दिक्कत होती है. ये छोटे जीवों का शिकार करते हैं. इनकी आंखों में प्राकृतिक तौर पर नाइट विजन डिवाइसेस लगी होती हैं जो रात में शिकार खोजने में मदद करती हैं. कई बार तो ये बतख जैसे बड़े पक्षियों का शिकार भी करते हैं.
बर्फीला उल्लू सामान्य तौर पर 25 से 30 साल तक जिंदा रहता है. लेकिन जंगलों में इनकी जिंदगी अगर 10 साल भी चल जाए तो ये बड़ी बात होती है. क्योंकि इनसे बड़े शिकारी जीव इनका शिकार कर लेते हैं. कई बार इनका शिकार इंसान भी करते हैं. बर्फीला उल्लू क्यूबेक, फ्रांस और कनाडा के एविएशन का प्रतीक चिन्ह भी है. (फोटोः एपी)
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