श्रीलंका में उथलपुथल के बीच नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. 73 वर्षीय विक्रमसिंघे ने गुरुवार को कोलंबो में संसद भवन परिसर में शपथ ली. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जयंत जयसूर्या ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. छह बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को एक दिन पहले ही राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया गया था. हालांकि इसका भी विरोध हुआ था क्योंकि सरकार विरोधी कई प्रदर्शनकारी उन्हें पूर्ववर्ती राजपक्षे शासन से जुड़ा हुआ मानते हैं.
श्रीलंका की संसद में 44 साल बाद सीक्रेट वोटिंग के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव किया गया था. 1978 के बाद ये पहला मौका रहा, जब देश में जनादेश के जरिए नहीं बल्कि सांसदों ने गुप्त मतदान के जरिए नए राष्ट्रपति को चुना. इस वोटिंग में बाजी रानिल विक्रमसिंघे के हाथ लगी. उनका मुकाबला दुल्लास अल्हाप्पेरुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके से था. पीटीआई के मुताबिक, 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में हुई वोटिंग में विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले, जबकि सत्तारूढ़ दल के असंतुष्ट नेता दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट ही मिल पाए. वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को महज 3 वोटों से संतोष करना पड़ा.
राजनीति में आने से पहले रानिल विक्रमसिंघे वकील थे. 1949 में जन्मे विक्रमसिंघे 1977 में 28 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे. वह श्रीलंका के पहले कार्यकारी राष्ट्रपति जूनियस जयवर्धने के भतीजे हैं. विक्रमसिंघे पिछले 45 साल से श्रीलंका की संसद में हैं. जयवर्धने की सरकार में जब विक्रमसिंघे ने उप विदेश मंत्री का पद संभाला था तो वह श्रीलंका के सबसे कम उम्र में मंत्री बनने वाले शख्स थे.
रानिल विक्रमसिंघे छह बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं. पहली बार 1993-1994 में उन्हें प्रधानमंत्री पद तब मिला था, जब राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदास की हत्या कर दी गई थी. उसके बाद 2001 के आम चुनाव में यूनाइटेड नेशनल पार्टी की जीत बाद उन्होंने फिर से पीएम की कुर्सी संभाली और 2004 तक उस पर रहे. इसके बाद वह फिर से प्रधानमंत्री बने लेकिन अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने उन्हें बर्खास्त करके महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री बना दिया था. इससे श्रीलंका में संवैधानिक संकट पैदा हो गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर राष्ट्रपति को विक्रमसिंघे को बहाल करना पड़ा.
श्रीलंका में ऐतिहासिक आर्थिक संकट के बीच इस साल मई में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विक्रमसिंघे को छठी बार प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. लेकिन 9 जुलाई को जब जनता का गुस्सा राष्ट्रपति भवन पर फूटा तो उसकी चपेट में विक्रमसिंघे भी आए थे. राष्ट्रपति भवन में धावा बोलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के घर को भी आग के हवाले कर दिया था.