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रेल यातायात (Rail Travel) ने दूरियों को मिटाने का काम किया है
रेल यातायात (Rail Travel) ने दूरियों को मिटाने का काम किया है और लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने का काम किया है. लेकिन खराब रखरखाव और ट्रैक की मरम्मत नहीं होने के चलते रेल हादसे होते रहते हैं. ऐसा ही एक हादसा आज ही के दिन तंजानिया (Tanzania) में हुआ था, जिसमें 281 लोगों की मौत हो गई थी. इस रेल हादसे को अफ्रीकी इतिहास में सबसे खराब रेल दुर्घटनाओं में से एक में माना जाता है. 24 जून 2002 को 1200 से अधिक यात्रियों को लेकर जा रही यात्री ट्रेन एक पहाड़ी से तेजी से नीचे की ओर बढ़ने लगी और एक मालगाड़ी से जाकर टकरा गई. इसे इगांडु ट्रेन आपदा (Igandu train disaster) के रूप में याद किया जाता है.
ये ट्रेन दार-ए-सलाम से मध्य तंजानिया में डोडोमा राज्य की यात्रा पर निकली थी. इसने रास्ते में मसागली शहर को पार किया और फिर इगांडु नामक पहाड़ी पर बिछी पटरियों पर चढ़ने लगी. इस दौरान ट्रेन के ब्रेक में खराबी की जानकारी मिली. ड्राइवर ने पहाड़ की चोटी पर पहुंचने पर ट्रेन को रोका और ब्रेक की जांच की. इसके बाद वह वापस अपने कैबिन में आ गया. लेकिन जब ट्रेन ने दोबारा चलना शुरू किया तो ब्रेक पूरी तरह से फेल हो गए. इस वजह से ट्रेन ने पहाड़ी से नीचे लुढ़कना शुरू कर दिया. पहाड़ से नीचे आने की वजह से ट्रेन की रफ्तार बहुत अधिक थी. इसने दो स्टेशनों को पार किया और फिर एक मालगाड़ी से जा टकराई.
अस्पताल में हुई डॉक्टरों की कमी तो स्वास्थ्य मंत्री खुद इलाज में जुटे
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों ने एंबुलेंस सर्विस की मदद करना शुरू कर दिया. जिस जगह ये हादसा हुआ, वहां मौजूद अस्पताल में डॉक्टरों की कमी थी. इस वजह से तंजानिया के स्वास्थ्य मंत्री को खुद ही 400 से ज्यादा घायलों का इलाज करना पड़ा. दूसरी ओर, रेस्क्यू टीम को आधुनिक हथियारों की कमी से जूझना पड़ा, जिस वजह से वह ट्रेन के मलबे को काट कर उसमें फंसे यात्रियों को नहीं निकाल पा रहे थे. शाम तक जरूरी उपकरण पहुंच पाए, इसके बाद ही लोगों को बचाने के काम में तेजी आ सकी. लेकिन तब तक सैकड़ों लोग मलबे के नीचे फंसे रहे.
पीड़ितों को मुआवजे का किया गया ऐलान
घटना के चार दिन बाद तंजानिया की सरकार ने एक बयान जारी कर बताया कि इस ट्रेन हादसे में 281 लोगों की मौत हुई है और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए. सरकार के स्वामित्व वाले रेलवे ने पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद भी मुहैया कराई. हालांकि, लोगों के बीच इस बात को लेकर गुस्सा था कि अगर ट्रेन का ठीक तरह से रखरखाव किया गया होता तो ये हादसा नहीं होता.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस हादसे से कुछ महीने तक तंजानिया की सरकार जर्जर हालात में पड़े रेलवे सिस्टम को सुधारने के लिए इसका स्वामित्व एक निजी कंपनी को सौंपने की तैयारी कर रही थी. ऐसे में इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई कि कहीं रेलवे के सरकारी कर्मचारियों ने ही तो इस हादसे को विरोध के रूप में अंजाम नहीं दिया है. लेकिन प्रधानमंत्री ने इन आरोपों को खारिज कर दिया.
Rani Sahu
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