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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
मॉस्को: सोवियत संघ के आखिरी राष्ट्रपति रहे मिखाइल गोर्बाचेव के अंतिम संस्कार में व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं होंगे। कहा जा रहा है कि व्लादिमीर पुतिन ने इसलिए उनकी अंत्येष्टि में नहीं जाने का फैसला लिया क्योंकि मिखाइल गोर्बाचेव को वह सोवियत संघ के विघटन को न रोक पाने का जिम्मेदार मानते हैं। मिखाइल गोर्बाचेव को पश्चिम के देश शीत युद्ध की समाप्ति कराने और पूर्वी यूरोप का देश बने सोवियत संघ के एक हिस्से को आजादी देने का श्रेय देते हैं। हालांकि रूस में एक बड़ा वर्ग उनकी नीति को गलत मानता रहा है और सोवियत संघ के विघटन के लिए उन्हें दोषी करार दिया जाता रहा है। शनिवार को गोर्बाचेव का मॉस्को के हॉल ऑफ कॉलम्स में अंतिम संस्कार होना है।
इसी हॉल ऑफ कॉलम्स में सोवियत संघ के लेनिन, स्टालिन और लियोनिड ब्रेजनेव जैसे कई दिग्गज नेताओं का अंतिम संस्कार हो चुका है। इन सभी नेताओं को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई थी, लेकिन मिखाइल गोर्बाचेव के साथ ऐसा नहीं होगा। उन्हें मिलिट्री गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा, लेकिन राजकीय सम्मान नहीं मिल पाएगा। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्रि पेसकोव ने कहा, 'दुर्भाग्य की बात है कि राष्ट्रपति का वर्क शेड्यूल उन्हें 3 सितंबर को गोर्बाचेव के अंतिम संस्कार में जाने की इजाजत नहीं देता।' उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से गोर्बाचेव के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जाएगी।
व्लादिमीर पुतिन का यह रवैया 2007 के मुकाबले एकदम उलट है, जब उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की मौत पर राजकीय शोक का ऐलान किया था। यही नहीं वह अंतिम संस्कार के दौरान शामिल भी हुए थे। गोर्बाचेव के बाद बोरिस येल्तसिन ने रूस की सत्ता संभाली थी और उन्होंने ही व्लादिमीर पुतिन को आगे बढ़ाया था। जो एक दौर में केजीबी के खुफिया अफसर थे। व्लादिमीर पुतिन लंबे समय से यह मानते रहे हैं कि सोवियत संघ का विघटन एक गलत घटना थी, जिसे खत्म किया जाना चाहिए। यही नहीं इसी साल फरवरी में रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया था, तब भी कहा गया था कि पुतिन की यह यूक्रेन को मिलाकर अखंड रूस बनाने की कोशिश है।
बता दें कि 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया था और इसके लिए रूस में मिखाइल गोर्बाचेव को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। व्लादिमीर पुतिन ने रूस की सत्ता संभालने के 5 साल बाद वर्ष 2000 में सोवियत के विघटन को 20वीं सदी की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया था। गोर्बाचेव के विचारों से व्लादिमीर पुतिन की कितनी असहमति रही है, इसे एक तथ्य से भी समझा जा सकता है कि उनकी मौत के 15 घंटों के बाद उन्होंने शोक संदेश जारी किया था।
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