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पुतिन की सेना को भारी पड़ा युद्ध! यूक्रेन को कमजोर आंकने की भूल

jantaserishta.com
19 April 2022 6:14 AM GMT
पुतिन की सेना को भारी पड़ा युद्ध! यूक्रेन को कमजोर आंकने की भूल
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Russia-Ukraine War: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दंभ और रूसी सेना के ताबड़तोड़ हमलों के बीच आज अगर दुनिया किसी को देख रही है तो वो हैं यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की... जिन्होंने युद्ध को लेकर कहा था कि- 'उन्होंने हमें 5 दिन दिए थे. हम 50वें दिन भी जिंदा हैं. इस पर हमें गर्व होना चाहिए.'

24 फरवरी को शुरू हुए युद्ध के अब लगभग दो महीने होने जा रहे हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था तब दुनियाभर में इस बात पर बहस शुरू हो गई कि रूस की विशाल सेना के आगे यूक्रेन कितने दिन तक टिक पाएगा? शायद दो दिन.
हथियारों और सेना के आंकड़ों में रूस से कहीं पीछे रहने के कारण ही माना जा रहा था कि यूक्रेन ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगा. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी 24 फरवरी को जब जंग का ऐलान किया तो धमकाते हुए कहा कि यूक्रेनी सेना अपने हथियार डाले और घर लौट जाए. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं और ये जंग लंबी खींचती चली गई. आज दो महीने बाद भी रूस ना को किसी यूक्रेनी शहर पर पूरी तरह कब्जा जमा पाया है और ना हीं 8 जनरलों को खो चुकी रूसी सेना के पास और ना ही पुतिन के पास जंग में दिखाने को कोई सफलता फिलहाल दिख रही है.
रूस के साथ जंग में कोई भी देश सीधे तौर पर तो यूक्रेन के साथ नहीं आया, लेकिन रूस के खिलाफ दुनिया एकजुट हो गई. अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों ने रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन को हथियार मुहैया कराए. 24 फरवरी से अब तक अकेला अमेरिका ही यूक्रेन को 2.6 अरब डॉलर (करीब 20 हजार करोड़ रुपये) की सैन्य मदद का ऐलान कर चुका है. यूक्रेन सीमा के पास पड़ोसी देश में स्थित सीक्रेट सैन्य अड्डे से अमेरिका यूक्रेन की सेना तक हथियार, गोला, बारूद, मिसाइलें, एंटी टैंक मिसाइलें पहुंचा रहा है और जिनके बल पर जेलेंस्की की सेना पुतिन के लड़ाकों के दांत खट्टे किए हुए है.
अमेरिका से अब तक यूक्रेन को 1400 से ज्यादा स्टींगर मिसाइल, 5 हजार जैवलिन मिसाइल, 7 हजार से ज्यादा एंटी आर्मर, 5 करोड़ से ज्यादा गोलियां, 45 हजार से ज्यादा बॉडी आर्मर और हेलमेट, लेजर गाइडेड रॉकेट सिस्टम, ट्रैकिंग रडार, काउंटर-मोर्टार रडार सिस्टम, नाइट विजन डिवाइस जैसी सैन्य सामग्री मिल चुका है.
पिछले हफ्ते ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 800 मिलियन डॉलर की और मदद देने का ऐलान किया था. इसके तहत अमेरिका यूक्रेन को Mi-17 हेलिकॉप्टर, हॉवित्जर तोप, 40 हजार आर्टिलरी राउंड्स, जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइल, केमिकल, बायोलॉजिकल और परमाणु हथियारों से बचे रहने के इक्विपमेंट्स जैसे हथियार देगा. हथियार देने के अलावा अमेरिकी सेना यूक्रेन की सेना को खास ट्रेनिंग भी दे रही है, जिससे उन्हें रूस से लड़ने में मदद मिल रही है.
अमेरिका के अलावा ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को 132 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद का ऐलान किया था. ब्रिटेन ने यूक्रेन को 4 हजार से ज्यादा NLAW मिसाइल, एंटी-टैंक मिसाइल, जैवलिन मिसाइल, एंटी-एयर मिसाइल, 3 हजार बॉडी आर्मर, 2 हजार हेलमेट और 4 हजार बूट मुहैया कराए.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनिया के 25 से ज्यादा देशों ने यूक्रेन की सैन्य सहायता की है. जर्मनी ने एक हजार से ज्यादा एंटी-टैंक हथियार और 500 स्टिंगर मिसाइलें भेजी हैं. चेक रिपब्लिक ने हॉवित्जर तोप और टैंक दिए हैं. स्वीडन ने 5 हजार से ज्यादा एंटी-टैंक हथियार दिए हैं. फिनलैंड ने 1.5 लाख से ज्यादा गोलियां, 1500 रॉकेट लॉन्चर्स, 2500 असॉल्ट राइफल्स भेजे हैं. बेल्जियम, पुर्तगाल और डेनमार्क ने एंटी-टैंक हथियार और ऑटोमैटिक राइफल्स मुहैया कराई हैं.
रूस के हमले के खिलाफ अगर यूक्रेन की सबसे बड़ी ताकत कुछ साबित हो रही है तो डेढ लाख विदेशी लड़ाके जो अलग-अलग देशों से आकर वॉलंटियर बनकर यूक्रेन के लिए लड़ रहे हैं. इसमें तमाम देशों के पूर्व कमांडो, सैन्य एजेंट, मरीन फाइटर शामिल हैं जो युद्ध के लिए इस माहौल के लिए ट्रेंड हैं और रूसी सेना के हमले की रणनीति को अलग-अलग शहरों में यूक्रेनी सेना के साथ मिलकर विफल कर रहे हैं.
रूस ने 2008 में जॉर्जिया के खिलाफ जंग शुरू की थी. ये जंग 8 अगस्त को शुरू हुई और 12 अगस्त को खत्म हो गई. इसके बाद 22 फरवरी 2014 को रूस समर्थित अलगाववादियों ने यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला कर दिया. 16 मार्च को पुतिन ने क्रीमिया का रूस में विलय कर दिया. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इस बार भी पुतिन को लगा कि ये जंग ज्यादा लंबी नहीं खींचेगी और यहीं पुतिन से गलती हो गई. जंग से पहले ही यूक्रेनी सीमा के 1.5 से 2 लाख रूसी सैनिक तैनात हो चुके थे. उससे लग रहा था कि रूस इस जंग को ज्यादा लंबा खींचने के मूड में नहीं है. पुतिन को लगता था कि यूक्रेनी सेना जल्दी घुटने टेक देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब जब जंग लंबी खींच रही है तो रूसी सैनिकों की ट्रेनिंग पर सवाल भी उठ रहे हैं.
एक तरफ पुतिन की रणनीतिक गलतियां तो दूसरी ओर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के जज्बे ने इस जंग को लंबा खींच रखा है. जंग शुरू होने के कुछ दिन बाद ही रूसी मीडिया ने जेलेंस्की के यूक्रेन छोड़कर जाने का दावा किया. इसके बाद जेलेंस्की ने वीडियो जारी किया और बताया कि वो कीव में ही हैं. रूस ने जेलेंस्की के सामने शर्तें भी रखीं, लेकिन जेलेंस्की ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया. जेलेंस्की ने अपने देश के लोगों से रूस के खिलाफ लड़ने की अपील की. उनकी इस अपील का असर भी हुआ. यूक्रेन के कई शहरों में आम लोग रूसी सेना से भिड़ते नजर आए. जेलेंस्की लगातार अपनी सेना से संपर्क में बने हुए हैं.
- चीनी दार्शनिक सं जू की ऐतिहासिक किताब 'Art of War' में युद्ध की कला-कौशल के बारे में विस्तार से लिखा गया है. सं जू लिखते हैं, 'जब लड़ाई असली हो और जीत पाने में देरी हो रही हो तो हथियार अपनी धार खो बैठते हैं और सैनिकों का जोश ठंडा पड़ जाता है.' रूस के सामने भी अब यही संकट बढ़ता हुआ दिख रहा है.
- Art of War में सं जू लिखते हैं, 'युद्ध करना और जीतना बड़ा काम नहीं है. बड़ा काम है बिना लड़े शत्रु के सारे अवरोध खत्म कर देना. दुश्मन का सारा इलाका बिना तोड़-फोड़ के सही सलामत अपने कब्जे में ले लेना व्यवहारिक युद्ध कला का सर्वोत्तम उदाहरण है.' लेकिन यूक्रेन में हर जगह तबाही मच रही है. रूसी सेना पर यूक्रेन के रिहायशी इलाकों पर बमबारी करने के आरोप लग रहे हैं. स्कूल, अस्पताल, सड़कें, पुल, ऐतिहासिक इमारतें, रिहायशी इमारतें... सब कुछ रूसी हमलों में तबाह होता दिख रहा है.
इस जंग में अब आगे क्या?
- रूस और यूक्रेन की जंग को लगभग दो महीने होने जा रहे हैं और अब तक जंग किसी भी अंजाम तक नहीं पहुंच सकी है. उल्टा इस जंग के अब और खतरनाक होने की आशंका भी बढ़ने लगी है. यूक्रेन पहले ही रूसी सेना पर रिहायशी इलाकों में केमिकल बम के इस्तेमाल करने का आरोप लगा चुका है.
- यूक्रेनी सेना के जनरल स्टाफ ने पिछले महीने दावा किया था कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी सेना को किसी भी हाल में 9 मई तक ये जंग जीतने का आदेश दिया है. कुछ दिन पहले ही पुतिन ने यूक्रेन में रूसी सेना की कमान जनरल अलेक्जेंडर ड्वोर्निकोव को सौंपी है.
- रूसी सेना अब अपना पूरा फोकस डोनबास पर लगा दिया है. जनरल ड्वोर्निकोव की नियुक्ति भी इसी मकसद से हुई है. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि पुतिन चाहते हैं कि 9 मई से पहले-पहले यूक्रेन के ज्यादा से ज्यादा हिस्से पर कब्जा हो जाए, ताकि इसे अपनी जीत दिखाई जा सके.
- 9 मई की तारीख इसलिए, क्योंकि इसी दिन 1945 में हिटलर की नाजी सेना ने सोवियत सेना के आगे घुटने टेक दिए थे. इस जीत पर हर साल मॉस्को के रेड स्क्वायर पर विक्ट्री परेड का आयोजन होता है. पुतिन का प्लान है कि इस साल 9 मई को वो यूक्रेन पर जीत का ऐलान करें.
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