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1975 में आखिरकार पुतिन का सपना हुआ और उन्हें सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB में भर्ती कर लिया गया।
मास्को:रूस और यूक्रेन का युद्ध पिछले 124 दिनों से लगातार जारी है। रूस ने एक बार फिर यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमला शुरू कर दिया है। इस बीच व्लादिमीर पुतिन के पूर्व सहपाठियों और शिक्षकों का दावा है कि स्कूल के दिनों से ही पुतिन किसी भी लड़ाई को अंत तक लड़ते थे। इस लड़ाई को भी वह अंत तक लड़ेंगे। उनके पूर्व सहपाठियों ने कहा कि पुतिन कभी भी किसी से नहीं डरते हैं। किसी भी लड़ाई को वह पूरी निडरता के साथ लड़ते रहे हैं, चाहे उनके सामने लड़ने वाला लड़का उनसे दिखने में ताकतवर ही क्यों न हो।
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनके बचपन से जानते हैं वह उन्हें समस्या उतपन्न करने वाला शख्स मानते हैं। उनके पूर्व दोस्तों के मुताबिक लेनिनग्राद के डेज़रज़िंस्की जिले के स्कूल में पढ़ने के दौरान पुतिन के कारण हर कोई आतंकित था। उनके साथ जो भी लड़ाई करता था वह मुश्किल में पड़ जाता था। पुतिन के दोस्तों की मानें तो वह शुरुआत से ही बागी किस्म के थे। पुतिन के बचपन के दोस्त विक्टर बोरिसेंको याद करते हुए बताते हैं कि एक बार लड़ाई में पुतिन सबसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने इसकी शुरूआत की।
पुतिन किसी से भी लड़ सकते थे
विक्टर बोरिसेंको ने कहा, 'वह किसी के भी साथ लड़ सकते थे, उन्हें कोई भय नहीं था। इस बात से भी पुतिन को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि जिस लड़के से वह लड़ रहे हैं वह उनसे ज्यादा ताकतवार है। अगर कोई उन्हें नाराज करता है, तो वे सीधे उस पर कूद पड़ते, उसे खरोंचते, काटते और उसके बालों को खींचते थे।' उन्होंने आगे कहा, 'पुतिन हमारी कक्षा के सबसे ताकतवर छात्र नहीं थे, लेकिन अगर किसी से लड़ाई होती थी तो वह पूरी ताकत से लड़ते और लड़ाई को खत्म कर ही मानते थे।'
मुश्किलों में पले-बढ़े पुतिन
रूसी राष्ट्रपति मुश्किलों के साथ बड़े हुए हैं। वह एक छोटे अपार्टमेंट में पले-बढ़ें, जिसमें दो अन्य परिवार रहते थे। उनके अपार्टमेंट में हीटर नहीं था और न ही बाथरूम था। चूहों ने भी यार्ड को तबाह किया हुआ था, जिस कारण पुतिन डंडे से उनका पीछा करते रहते थे, लेकिन एक दिन एक चूहे ने उन पर हमला कर दिया। पुतिन ने एक बार इस घटना का जिक्र करते हुए कहा, 'मैंने उस दिन सीखा कि किसी को भी कोने में नहीं धकेलना चाहिए। ऐसी स्थिति पैदा नहीं करनी चाहिए जिससे किसी के सामने कोई रास्ता न रहे।'
पायलट बनना चाहते थे व्लादिमीर पुतिन
प्राथमिक विद्यालय में खराब प्रतिष्ठा अर्जित करने के बाद, 1965 में 12 वर्ष की आयु में पुतिन माध्यमिक विद्यालय चले गए। यहां पुतिन को वेरा गुरेविच पढ़ाती थीं, जो बहुत सख्त थीं लेकिन पुतिन के तेज दिमाग और याद करने की क्षमता से वह प्रभावित थीं। बाद में पुतिन ने मार्शल आर्ट सीखा। इसी दौरान उनके अच्छे नंबर आने लगे। इसी बीच वह कम्युनिस्ट पार्टी के एक संगठन से जुड़ गए। 16 साल की उम्र में उन्होंने एयरलाइन पायलट बनने का सपना छोड़ दिया और वह इस बात को जानने लगे कि KGB में भर्ती कैसे हों। 1975 में आखिरकार पुतिन का सपना हुआ और उन्हें सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB में भर्ती कर लिया गया।
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