चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन इस तैयारी से पहले चीन में ऐसी अफवाहें भी फैलीं कि सेना तख्तापलट कर सकती है. शी जिनपिंग को अपनी राष्ट्रपति वाली कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है. कम्युनिस्ट पार्टी किसी दूसरे शख्स को राष्ट्रपति बनाएगी. अब एक तरफ अगर इन अटकलों ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया तो दूसरी तरफ चीन की धरती से शी जिनपिंग के खिलाफ उठ रहे विरोध के सुर ने भी कई सवाल खड़े कर दिए.
जिस चीन में मीडिया पर पूरा कंट्रोल रखा जाता है, जहां पर प्रदर्शन शुरू होने से पहले समाप्त कर दिए जाते हैं, वहां पर इस समय शी जिनपिंग के खिलाफ खुला विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. ये प्रदर्शन भी तब शुरू हुआ है जब शी जिनपिंग इतिहास रचने जा रहे हैं. वे लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बननें के ख्वाब देख रहे हैं. लेकिन उनके इस ख्वाब के बीच में विरोध के सुर भी तेज हो गए हैं. मांग की जा रही है कि चीन को नया राष्ट्रपति मिले, शी जिनपिंग अपने पद से इस्तीफा दे दें.
बीजिंग के Sitong Bridge पर दो बड़े बैनर लगाए गए हैं. उन बैनर पर लिखा है कि कोविड टेस्ट को ना बोलो, खाने को हां बोलो. लॉकडाउन को ना बोलो, आजादी को हां बोलो. झूठ को ना बोलो, सम्मान को हां बोलो. सांस्कृतिक क्रांति को ना बोलो, रिफॉर्म को हां बोलो. महान नेताओं को ना बोलो, वोट के अधिकार को हां बोलो. गुलाम नहीं, नागरिक बनें. अब ये सब कुछ चीन में हो रहा है. वहां पर वर्तमान सरकार के खिलाफ बैनर लग रहे हैं, लोगों को सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
चीन की एक सड़क पर फ्लाइओवर पर एक बड़ा बैनर लगा दिया गया है. उस पर लिखा है कि स्ट्राइक पर चले जाओ, इस तानाशाह और गद्दार शी जिनपिंग को हटाओ. अब ये तो सिर्फ कुछ बैनर हैं, लेकिन असल माहौल तो इन बैनर पर मिलने वाली प्रतिक्रियाओं ने साफ कर दिया है. सोशल मीडिया पर हैशटैग I saw it ट्रेंड कर रहा है. ये एक तरह का चीनी सरकार पर तंज है जो सबकुछ सेंसर करने पर आमादा रहती है, जहां पर बिना फिल्टर लोगों तक कुछ नहीं पहुंचता है.
अभी तक चीन में ये साफ नहीं है कि आखिर ये विरोध प्रदर्शन कर कौन रहा है, किसके लिए कर रहा है, किसके जरिए कर रहा है? दावे तो अलग-अलग होते दिख रहे हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी की पहचान को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है. वैसे चीन में इस समय सिर्फ ये बैनर वाला विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहा है. कुछ दिन पहले तक तख्तापलट की खबरों ने ऐसा जोर पकड़ा था कि शी जिनपिंग की विदाई के अनुमान लगने लगे थे.