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सिराजुल हक ने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी के लिए जमात ए इस्लामी उम्मीद की आखिरी किरण है।
पाकिस्तान के जमात-ए-इस्लामी (JI) ने देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर इमरान खान सरकार के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया है। इस विरोध प्रदर्शन में कई बेरोजगार युवा भी शामिल हुए। न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, देश में एक करोड़ नौकरियों का दावा करने वाली इमरान खान सरकार के झूठे वादों के विरोध में ये युवा प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।
विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के आमीर सिराजुल हक ने किया था। उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए इमरान सरकार के उन वादों का उल्लेख किया जिन्हें पूरा करने में वह पूरी तरह से विफल रही है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान में गरीब और अमीर वर्गों के लिए न्याय के अलग-अलग मापदंड हैं।
माबाद में कांस्टीट्यूशन एवेन्यू के सामने वाली ऊंची इमारतों को नियमित किया जा सकता है तो कराची के नस्ला टावर को लेकर ऐसा ही क्यों नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस्लामाबाद के टावर में लग्जरी फ्लैटों का मालिकाना हक अभिजात वर्ग के लोगों के पास है। सिराजुल हक ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने 2018 के आम चुनाव में धांधली से जीत हासिल की, लेकिन उन्होंने कहा कि वे मौजूदा शासन का समर्थन करने वालों को उन पुरानी रणनीति का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे।
उन्होंने कहा, 'ये राजनेता थे जो पहले पीपीपी और पीएमएलएन में थे लेकिन अपने निहित स्वार्थों के लिए पिछले चुनावों में पीटीआई का समर्थन किया।' वहीं, सिराजुल हक ने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी के लिए जमात ए इस्लामी उम्मीद की आखिरी किरण है।
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