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तुर्की में इमरान खान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, लगाए गए नारे

Shiddhant Shriwas
13 Feb 2022 7:24 AM GMT
तुर्की में इमरान खान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, लगाए गए नारे
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वैश्विक प्रयासों के बावजूद वो अपनी नीति पर चीन का समर्थन करते हैं.

तुर्की के इस्तांबुल में उइगर (Uyghur) प्रवासियों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. इन लोगों ने इमरान के उस बयान पर आपत्ति दर्ज कराई है, जो उन्होंने बीजिंग विंटर ओलंपिक 2022 (Beijing Olympics 2022) के उद्घाटन समारोह से लौटने के बाद चीन को लेकर दिया है. उइगर प्रवासी विरोध प्रदर्शन करने के लिए इस्तांबुल में पाकिस्तान दूतावास के बाहर एकत्रित हुए और इमरान खान के खिलाफ नारे लगाए.

रिपोर्टों के अनुसार, इमरान खान ने शिंजियांग में उइगर मुसलमानों पर चीन के दमन के मामले में चीन को क्लीन चिट दे दी है. उइगरों ने कहा कि विरोध का मुख्य कारण 'इमरान खान का झूठ और उइगर मुसलमानों का पाकिस्तान से निर्वासन' है. 130 प्रदर्शनकारियों को लेकर बसें इस्तांबुल में पाकिस्तान वाणिज्य दूतावास के पास पहुंची थीं. लेकिन उस वक्त पाकिस्तानी दूतावास के मेन गेट पर केवल दस लोगों को ही खड़े रहने की अनुमति थी. सुरक्षा अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा गया है, जिन्होंने इसे लेने करने से इनकार कर दिया.
मेन गेट पर भी चिपकाया ज्ञापन
ज्ञापन वाला लिफाफा वाणिज्य दूतावास के मेन गेट पर भी चिपकाया गया है. लोगों की भीड़ देख पाकिस्तान दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी बाहर आए. वह लोगों से आकर बहस करने लगे. दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वह पाकिस्तान नहीं बल्कि चीनी दूतावास के सामने जाकर विरोध करें. काफी बहसबाजी के बाद केवल 25 लोगों को ही प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई. साथ ही उनसे आश्वासन लिया गया कि वह यातायात को बाधित नहीं करेंगे. हालांकि 25 लोगों से शुरू हुआ प्रदर्शन 75 लोगों में तब्दील हो गया.
सुरक्षा अधिकारियों के साथ हुई झड़प
ऐसा करीब आधे घंटे तक चला. फिर तुर्की की पुलिस ने लोगों को वापस भेज दिया. प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार झड़प हुई. एक मामूली झड़प तब हुई जब दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ उइगरों को इमरान खान के खिलाफ नारे लगाने से रोका. बता दें खुद को मुसलमानों का मसीहा बताने वाले इमरान खान उइगर मुसलमानों के नरसंहार के मामले में हमेशा चुप रहते हैं. वैश्विक प्रयासों के बावजूद वो अपनी नीति पर चीन का समर्थन करते हैं.

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