विश्व
रूस की ओर से लड़ रही प्राइवेट आर्मी, यूक्रेन के साथ ही रूसी सैनिकों में भी फैली दहशत
Rounak Dey
1 Nov 2022 2:01 AM GMT

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हालांकि रूस और वहां की मीडिया ने इस मसले पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है.
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध (Russia Ukraine War) को 8 महीने पूरे हो चुके हैं. इसके बावजूद कोई भी देश अब तक हार मानने को तैयार नहीं है. रूस हैरान है कि उससे कई गुना कमजोर देश यूक्रेन इतने महीने बाद भी उसके सामने कैसे टिका हुआ है. इस लड़ाई में रूस को भी भारी जनहानि उठानी पड़ रही है. अब इस समस्या से निपटने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐसा फैसला लिया है कि खुद रूसी सेना के सैनिक दहशत में आ गए हैं.
रूस की ओर से लड़ रही प्राइवेट आर्मी
रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के साथ युद्ध (Russia Ukraine War) में रूस (Russia) ने सैनिकों की कमी होते देख राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश में संचालित होने वाली प्राइवेट आर्मी (वेगनर ग्रुप) की मदद पहले ही ले रखी थी. यह प्राइवेट आर्मी पैसे लेकर किसी के लिए भी लड़ने पहुंच जाती है. इस प्राइवेट आर्मी में विभिन्न देशों में ट्रेंड सोल्जर के रूप में काम कर चुके कई पूर्व सैनिक शामिल हैं. जिन्हें हर तरह के हथियार चलाने का प्रशिक्षण हासिल है.
HIV और हेपेटाइटिस C के मरीजों की भर्ती
ब्रिटिश डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक इस प्राइवेट आर्मी (वेगनर ग्रुप) में भर्ती के मानक पहले काफी ऊंचे थे और उन्हें कड़े प्रशिक्षण से गुजरने के बाद ही इसमें शामिल होने का मौका मिलता था. चयनित होने वाले लड़ाकों को मोटी सैलरी और दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं. लेकिन अब कहा जा रहा है कि यह प्राइवेट आर्मी HIV और हेपेटाइटिस C से पीड़ित मरीजों की भर्ती कर रही है.
यूक्रेन के मोर्चे पर भेजने की तैयारी
ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस प्राइवेट आर्मी में तब तक इस तरह के 100 मरीजों की भर्ती हो चुकी है. इन्हें अब ट्रेनिंग के बाद यूक्रेन के मोर्चे पर भेजे जाने की तैयारी की जा रही है. ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक इस तरह के बीमार सैनिकों की पहचान के लिए उन्हें रंगीन ब्रेसलेट पहनाया जा रहा है. साथ ही उन्हें रूस के दूसरे सैनिकों से अलग रखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि यूक्रेन के जिस इलाके में उन्हें युद्ध के लिए भेजा जाएगा, वह एरिया भी दूसरे सैनिकों से अलग होगा.
रूसी सैनिकों में भी फैला डर
ब्रिटिश मीडिया का दावा है कि राष्ट्रपति पुतिन के इस फैसले से रूस (Russia) के रेग्युलर सैनिकों में डर फैल गया है. उन्हें लग रहा है कि रोगी सैनिकों के साथ काम करने से उन्हें भी HIV और हेपेटाइटिस C बीमारी हो सकती है. हालांकि कड़े अनुशासन की वजह से वे पुतिन के फैसले का विरोध तो नहीं कर रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर उनमें इस फैसले के प्रति निराशा भी है. ये रोगी सैनिक यूक्रेन में किस तरह युद्ध लड़ पाएंगे, इस बारे में अभी कोई बात क्लियर नहीं है. हालांकि रूस और वहां की मीडिया ने इस मसले पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है.
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Rounak Dey
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