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फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव: राजनीति में एरिक जेमो का एक उल्के की तरह हुआ उदय

Deepa Sahu
13 Oct 2021 5:50 PM GMT
फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव: राजनीति में एरिक जेमो का एक उल्के की तरह हुआ उदय
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फ्रांस की राजनीति में एरिक जेमो का एक उल्के की तरह उदय हुआ है।

फ्रांस की राजनीति में एरिक जेमो का एक उल्के की तरह उदय हुआ है। उनके बारे में इस समय टीवी चैनलों और अखबारों में खबरें छप रही हैं, उतनी किसी दूसरे नेता के बारे में नहीं। जनमत सर्वेक्षणों में भी उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इससे अब जेमो को अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में एक मजबूत दावेदार समझा जाने लगा है।

पिछले हफ्ते आए एक सर्वे में जेमो ने धुर दक्षिणपंथी नेता मेरी ली पेन को पछाड़ दिया। हैरिस इंटरेक्टिव पॉल में बताया गया कि जेमो को 17 फीसदी मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है, जबकि ली पेन को 15 फीसदी का। सर्वे में 24 फीसदी समर्थन के साथ राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों सबसे ऊपर आए।जेमो की खूबी भड़काऊ भाषण देना है। वे इस्लाम को निशाना बनाते हैं। इससे फ्रांस में सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ा है। लेकिन उसका सियासी फायदा जेमो को मिल रहा है। उनके समर्थकों का कहना है कि जेमो ताजा हवा के एक झोंके की तरह आए हैँ। वे उन बातों को कह रहे हैं, जिन्हें दूसरे नेता बोलने से बचते हैँ। जबकि जेमो को नफरत भड़काने के एक मामले में सजा हो चुकी है।
पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वां ऑलोंद के सलाहकार रह चुके जेसपार्ड गैंतजर ने वेबसाइट पॉलिटिको.ईयू से कहा- 'जिस तरह ट्रंप ने अमेरिकी मीडिया को उसकी औकात बताने की कोशिश की थी, वैसा ही जेमो ने फ्रांस मे किया है। वे मीडिया की सुर्खियों में इसलिए हैं, क्यंकि उनके भड़काऊ बयानों को ज्यादा दर्शक या पाठक मिलते हैं।'
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप और जेमो में कई समानताएं हैं। दोनों की जिंदगी लगभग एक जैसी रही है और उनके विचार भी समान हैं। ट्रंप की तरह की जेमो की लोकप्रियता टीवी न्यूज चैनलों पर उनके बारे में लगातार कवरेज से बढ़ी है। दोनों इस बात पर जोर देते हैं कि वे पेशेवर राजनेता नहीं हैं। वे आव्रजकों के खिलाफ ट्रंप जैसी ही आक्रामक भाषा बोलते हैं।
हाल में जेमो ने मांग की कि फ्रांस में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति के लिए कैथोलिक मत के मुताबिक नाम रखना अनिवार्य कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि उससे समाज में समरूपता बढ़ेगी। समाजशास्त्री फिलिपे कॉरकफ ने वेबसाइट पॉलिटिको से कहा- 'अंतर सिर्फ यह है कि ट्रंप ने बुद्धिजीवियों के खिलाफ मुहिम चला रखी थी, जबकि जेमो खुद को बुद्धिजीवी मानते हैँ। फ्रांस में राष्ट्रपति बनने के लिए बौद्धिकता का लबादा ओढ़ना पड़ता है। मैक्रों ने दार्शनिक पॉल रिकॉये के साथ अपनी निकटता को प्रचारित किया था। इसलिए जेमो खुद को बैद्धिक ट्रंप के रूप में पेश करना चाहते हैँ।'
फ्रांस के एक वामपंथी अखबार में काम करने वाले पत्रकार ने पॉलिटिको से कहा- 'संपादकीय बैठकों में जो मैं सुनता हूं, उस पर मेरे लिए विश्वास करना मुश्किल होता है। उसमें सारी चर्चा जेमो पर केंद्रित रहती है और ये मुद्दा रहता है कि उसका जवाब हमें कैसे देना चाहिए। इसके बीच हम वामपंथी उम्मीदवारों की खबर शायद ही दे पाते हैं।'मीडिया वॉचडॉग एक्रिमेड के मुताबिक पिछले महीने जेमो को टीवी चैनलों पर 11 घंटे का समय मिला, जबकि सोशलिस्ट उम्मीदवार एनी हिदालगो को सिर्फ दो घंटे का वक्त ही मिल पाया। ली पेन को भी दो घंटे से कुछ ही ज्यादा समय दिया गया।


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