विश्व

राष्ट्रपति शी जिनपिंग 20 महीने से चीन के बाहर नहीं निकले, सामने आई बड़ी वजह

Subhi
1 Nov 2021 3:26 AM GMT
राष्ट्रपति शी जिनपिंग 20 महीने से चीन के बाहर नहीं निकले, सामने आई बड़ी वजह
x
इस हफ्ते रोम में जी-20 देशों की बैठक और अगले हफ्ते ग्लासगो में जलवायु वार्ता में एक बात समान होगी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति। बीते 20 महीने से जिनपिंग ने चीन के बाहर कदम नहीं रखा है।

इस हफ्ते रोम में जी-20 देशों की बैठक और अगले हफ्ते ग्लासगो में जलवायु वार्ता में एक बात समान होगी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति। बीते 20 महीने से जिनपिंग ने चीन के बाहर कदम नहीं रखा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से आज तक आमने-सामने मुलाकात नहीं की है। चीन सरकार ने खुद तो नहीं कहा, लेकिन कुछ जानकार इसकी वजह कोरोना महामारी बता रहे हैं। लेकिन खबर यह भी है कि जिनपिंग देश की सत्ता पर नियंत्रण बचाने में जुटे हैं।
अगले साल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस है। यहां जिनपिंग पांच और साल के लिए खुद को चीन का लीडर बरकरार रख सकते हैं। इसके लिए वह अभी से अंदरूनी राजनीति साध रहे हैं। चीन पर अध्ययनरत रोडियम समूह के नोआ बर्किन इसे 'बंकर मानसिकता' का उदाहरण बताते हैं।
इसमें अपने बचाव के लिए व्यक्ति खुद को हमेशा सही बताते हुए आलोचना पनपने नहीं देता। जिनपिंग का पिछला विदेश दौरा जनवरी 2020 में म्यांमार का था। इसके बाद वुहान में लॉकडाउन लगा और फिर दुनिया में कोरोना फैला। उन्होंने चीन में मार्च 2020 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के बाद किसी नेता से आमने-सामने मुलाकात तक नहीं की है।
नयंत्रण पर निर्णय
हर पांच साल में होने वाली राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख सदस्य बंद दरवाजों में नीतिगत निर्णय लेते हैं। यहां जिनपिंग खुद को देश का लीडर बनाए रख सकते हैं। सफल रहे तो तीसरी बार पांच साल का कार्यकाल हासिल करेंगे। जो हाल में कोई चीनी नेता नहीं कर पाया है। लेकिन इससे पहले पार्टी में उनके खिलाफ माहौल बना तो उन्हें पद छोड़ना होगा और अक्तूबर तक नेतृत्व परिवर्तन हो जाएगा। जिनपिंग के लिए इस समय यही सबसे महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति के देश से बाहर न निकलने से चीन की छवि को नुकसान
चीन को अमेरिका विकल्प बताने वाले जिनपिंग के देश से न निकलने से चीन की छवि को नुकसान हुआ है। एक साल पहले यूरोपीय संघ से हो रहा निवेश समझौता बातचीत के अभाव में तकरीबन नष्ट हो चुका है।
जर्मनी में चीन पर अध्ययन कर रहीं हेलेना लेगार्डा कहती हैं कि अगर देश का लीडर महत्वपूर्ण बातचीत में नदारद रहे तो बुनियादी बाधाएं व तनाव दूर नहीं हो सकते। इसी का नुकसान रोम व ग्लासगो में अंतरराष्ट्रीय बैठकों पर हो सकता है, जहां महामारी व जलवायु परिवर्तन पर काम लायक प्रगति की उम्मीद कम है।
कभी ट्रंप-ओबामा को देते थे मात
2019 के आखिर में कम्युनिस्ट पार्टी ने लेख लिखा कि जिनपिंग के कदम दुनिया के हर हिस्से में पड़ते हैं। 2019 से पहले तक वे औसतन हर साल 14 देशों में 34 दिन गुजार रहे थे। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के 25 दिन और ट्रंप के 23 दिन से यह कहीं ज्यादा है।
इसे चीन की शक्ति से दुनिया को परिचित करवाने के लिए जरूरी माना गया। लेकिन बीते करीब दो साल में जिनपिंग के रुख में आए बदलाव ने उसकी वैश्विक पहचान को सीमित कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय भर्त्सनाओं से भी मुश्किलें बढ़ीं
हांगकांग व शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन के लिए हाल में चीन की काफी आलोचनाएं हुईं। तिब्बत व ताइवान पर भी मानवाधिकार व अंतरराष्ट्रीय समूह उसे कड़ी निगरानी में रखते हैं। ताइवान से बढ़े तनाव के बाद जिनपिंग का विदेशी नेताओं से मुलाकात न करना, नई मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित हुआ है।
जिनपिंग इस कीमत पर भी चीन में रुके हुए हैं, यह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विक्टर शिह कहते हैं, ऐसा लगता है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को साबित करने की जरूरत महसूस नहीं हो रही, वे घरेलू नियंत्रण बढ़ाने में लगे हैं।
महत्वपूर्ण बात' वर्चुअल क्यों कहनी, खुद क्यों नहीं आते?
रोम में चीन के विदेशी मंत्री यांग यी पहुंचे हैं। खुद जिनपिंग वर्चुअल आएंगे और अपनी महत्वपूर्ण बात कहेंगे। इस पर कई विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर बात इतनी ही महत्वपूर्ण है तो जिनपिंग खुद क्यों नहीं पहुंचे? विदेशी दौरे रोकने के बाद जिनपिंग ने जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल, फ्रांस के पीएम मैक्रां, ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन सहित कई अन्य नेताओं से वर्चुअल मुलाकात ही की है। लेकिन इन्हें विशेषज्ञ नाकाफी मानते हैं।

Next Story