पिछले दिनों अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मानसिक स्थिति को मद्देनजर रखते हुए देश के परमाणु हथियार के जखीरे पर चिंजा जताई गई. अमेरिकी कांग्रेस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा कि उन्होंने पेंटागन के टॉप जनरल मार्क मिले से सपंर्क किया है. नैंसी के मुताबिक उन्होंने जनरल मार्क से पूछा है कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिसके बाद राष्ट्रपति को सीक्रेट न्यूक्लियर लॉन्च कोड्स को एक्सेस करने से रोका जा सके.पिछले एक हफ्ते से अमेरिका में जो कुछ हो रहा है उसके बाद अब सबका ध्यान उस तरफ जा रहा है जिसमें ट्रंप की मानसिक हालत को लेकर चेतावनी दी गई थी. साल 2016 में जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तो वह देश के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति थे. 3 नवंबर को हुए चुनावों में हारने के बाद भी ट्रंप ने हार मानने से इनकार कर दिया. जब से उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभाला तब से ही लगातार वह अपने फैसले को लेकर सुर्खियों में रहे. अब ट्रंप ने देश में 20 जनवरी को डेमोक्रेट जो बाइडेन के शपथ ग्रहण के मद्देनजर इमरजेंसी घोषित कर दी है.
ट्रंप की मानसिक स्थिति को लेकर कई तरह के कयास लगाए गए. साल 2017 में अमेरिका के मनोवैज्ञानिकों ने गोल्डवॉटर रूल को नजरअंदाज करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप पर किताब तक पब्लिश कर डाली थी. 37 मनोवैज्ञानिकों और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ट्रंप की मानसिक हालत का अंदाजा लगाया था. इसके बाद 'द डेंजरस केस ऑफ डोनाल्ड ट्रंप' को रिलीज किया गया था. यह किताब आते ही बेस्टसेलर साबित हुई थी.
अमेरिका के मनोचिकित्सक डॉक्टर केनेथ पॉल रोसेनबर्ग और नॉर्मन ऑर्नास्टेइन ने नवंबर में हुए चुनावों के बाद यूएसए टुडे में एक आर्टिकल लिखा था. इस आर्टिकल में उन्होंने ट्रंप की तरफ से उन फैसलों का आकलन लिया था जो उन्होंने जनवरी 2017 के बाद से लिए थे. जहां केनेथ मनोचिकित्सक हैं तो नॉर्मन अमेरिकी राजनेता हैं. इन्होंने लिखा था कि राष्ट्रपति ने कई ऐसे मुख्य अधिकारियों को निकाल दिया है जिन पर परमाणु हथियारों के जखीरे की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी. साथ ही वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई अहम मसलों को भी देखते थे.
जनरल मिले ने पेलोसी को स्पष्ट कह दिया कि अमेरिकी संविधान के तहत सिर्फ राष्ट्रपति को ही परमाणु हथियारों को लॉन्च करने की ताकत मिली हुई है. कांग्रेस इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है और न ही पेंटागन के जनरल और असैन्य अधिकारियों को यह ताकत मिली हुई है. उन्हें हर हाल में आदेश का पालन करना होगा, चाहे वह इससे सहमत हो या ना हो.
केनेथ और नॉर्मन ने ट्रंप के उस बयान का जिक्र भी किया था जिसमें उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण से साफ इनकार कर दिया था. केनेथ के मुताबिक ट्रंप एक ऐसे स्वार्थी इंसान हैं जिसे हार किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं है. इन दोनों ने ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआती दिनों में रात भर ट्वीट करने की आदत के बारे में भी लिखा था. केनेथ और नॉर्मन के मुताबिक ट्रंप ने कई ऐसे ट्वीट किए जिसमें उनके अतार्किक फैसलों से लेकर अनियंत्रित रवैये की भी झलक मिलती थी. केनेथ के मुताबिक यह एक मूड डिसॉर्डर है जिसे हाइपोमेनिया कहते हैं. ट्रंप का एक लंबा इतिहास रहा है जिसमें उन्होंने कभी भी दूसरों की परवाह नहीं की. उनका मानना है कि अगर इसे ठीक से रिपोर्ट किया जाए तो यह एक पर्सनाल्टी डिसऑर्डर है जो आत्ममुग्धता और समाज विकृति से जुड़ा है.