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कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने संकटग्रस्त श्रीलंका के सत्ता में अपने पदार्पण को 'हिमशैल से टकराने के बाद टाइटैनिक को संभालने' जैसा वर्णित किया।
डेली एफटी समाचारपत्र के अनुसार, श्रीलंका टी फैक्ट्री ओनर्स एसोसिएशन की 32वीं वार्षिक आम में इसके अध्यक्ष लियोनेल हेराथ ने 'संकट की कहानी' बताया जिसके जवाब में विक्रमसिंघे ने यह टिप्पणी की।
श्री विक्रमसिंघे ने कहा , " इस वर्ष हमने जो झेला है, उसे देखते हुए इसे समझा जा सकता है। अब, मेरे लिए यह संकट की कहानी से बाहर निकलने का अवसर है क्योंकि मैंने हिमशैल से टकराने के बाद टाइटैनिक पर नियंत्रण पा लिया है। आप कल्पना कर सकते हैं कि मुझे कहां से शुरू करना है। सब कुछ धरातल पर था। हमने खुद को दिवालिया घोषित किया है, हमारी अर्थव्यवस्था लगभग ठप हो चुकी है। मुद्रास्फीति, दिवालियापन और जो कुछ भी हो रहा है, उसने हमारी अर्थव्यवस्था पिस रही है। हम इसमें सुधार करने में लगे हुए हैं।"
उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता विदेशी मुद्रा का संरक्षण और आयात को सीमित करना है जिससे देश को ईंधन, उर्वरक और दवा प्राप्त हो सके। उन्होंने जोर दिया कि दिवालियापन की स्व-घोषणा करने के बाद, पहला विषय दिवालियापन के ठप्पे को मिटाने के लिए पर्याप्त कदम सुनिश्चित करना है, जिसका मतलब है कि श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जा रहा है। राष्ट्रपति ने सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि, "हमारा राजस्व 15 प्रतिशत से घटाकर 8.5 प्रतिशत हो गया है और हम राजस्व को फिर से 15 प्रतिशत तक पहुंचाने की उम्मीद रखते है, जो मुझे लगता है कि हमें 2026 यानि चार वर्षों में करना होगा।"
उन्होंने श्रीलंका के आधिकारिक और निजी ऋणदाता के साथ बातचीत का जल्द से जल्द निष्कर्ष निकलने के प्रति आशा व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमने जापान के साथ-साथ अब भारत और चीन के साथ भई बातचीत शुरू कर दी है।
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